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दिल्ली में ₹3 लाख में कैंसर इंजेक्शन के तौर पर बेची जा रही थी ₹100 की दवा

Drugs Being Sold On Instagram

Fake medicine disguised as cancer injection in Delhi:दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने नकली दवाइयां बनाने व सप्लाई करने वाले एक गिरोह को धर दबोचा है। पुलिस ने नकली दवाओं को बेचने के मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों के पास से कई देशी और विदेशी नामी कंपनियों की दवा बरामद हुई है। इस दौरान करोड़ों रुपए की असली कीमत वाली नकली दवाओं को पुलिस ने आरोपियों के पास से जब्त की है।

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की इंटरस्टेट सेल में तैनात इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन की देखरेख में इंस्पेक्टर कमल, पवन और महिपाल, एसआई गुलाब, आशीष, अंकित, गौरव व यतेंद्र मलिक की टीम ने तीन महीने की जांच के बाद इस गिरोह का पर्दाफाश किया है।

असली शीशियों में नकली दवा

आरोपी गिरोह के सदस्य असली दवाइयों की खाली शीशियों को 100-150 के दामों में खरीदते थे, उसमें नकली दवाओं को भरकर देश और विदेश में सप्लाई करते थे। पुलिस ने आरोपियों के पास कीट्रूडा, इन्फिनजी, टेक्सेंट्रिक, पेरजेटा, ओपडाटा, डार्जलेक्स, एर्बिटक्स नाम के 137 नकली इंजेक्शन, फेस्गो की 519 खाली शीशियां और 864 खाली पैकेजिंग बाक्स को बरामद किया है।

विदेशी मुद्रा भी जब्त

पुलिस टीम ने विफिल जैन (46), सूरज शात (28), नीरज चौहान (38), परवेज (33), कोमल तिवारी (39), अभिनय कोहली (30) और तुषार (28) को अरेस्ट किया है। नकली दवाओं का कारोबार करने वाले इन आरोपियों के पास से पुलिस ने 19 हजार डॉलर और ₹89.50 लाख का कैश भी बरामद किया है।

अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल

दिल्ली स्थित कैंसर अस्पताल के दो कर्मचारी कोमल तिवारी और अभिनय कोहली को भी पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया है। ये अस्पताल में खाली हुई शीशियों को (Fake medicine disguised as cancer injection in Delhi) इन आरोपियों को उपलब्ध कराते थे। इसके लिए अस्पताल में कार्यरत आरोपी नकली दवाओं को बेचने वाले आरोपियों को महंगी कैंसर की दवाओं इंजेक्शन के खाली शीशियां उपलब्ध करवाते थे, इसके लिए उक्त आरोपी एक खाली शीशी का ₹5000 तक की डिमांड करते थे। अस्पताल में कार्य करने वाले गिरोह में शामिल आरोपियों के पास से पुलिस ने 20 खाली शीशियां बरामद की है।

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गौरतलब हो, आरोपी महंगे दामों में मिलने वाले इंजेक्शन में जिन नकली दवाओं को भरते थे, वह एंट्रीफंगल के उपचार के लिए उपयोग में लिया जाता था, जिसकी मार्किट में कीमत ₹100 से ज्यादा की नही होती थी। इसके साथ गिरोह के द्वारा जो महंगी ओरिजनल इंजेक्शन की खाली शीशी अस्पताल के कर्मचारी से खरीदी जाती थी, ऐसी खाली शीशियों को नष्ट करने का एक पूरा प्रोसेस होता है। जो रैकेट में शामिल अस्पताल के कर्मचारी नहीं करते थे और खाली शीशियां बेच देते थे।

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