CAA – Pakistan Refugees Celebrates in Rajasthan: साल 2019 में लोकसभा में CAA अधिनियम पास करने के लगभग 5 साल बाद कल आखिरकर केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की अधिसूचना जारी कर दी। इसका सीधा-सा मतलब यह है कि अब भारत में सीएए आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है, जिसके तहत पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को देश में नागरिकता प्रदान की जा सकेगी।
लेकिन शुरुआत से ही विवादों से घिरे रहे इस अधिनियम के लागू होते ही, सोशल मीडिया मानों मिली-जूली प्रतिक्रियाओं से भरा दिखाई पड़ा। एक ओर सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने इसे पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने की कोशिश की। वहीं तमाम विपक्षी दलों ने इस कानून को लागू करने के समय पर भी सवाल उठाए।
लेकिन इस बीच देश भर से कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आई, जिनमें लोग जश्न मानते दिखाई दिए। ऐसा ही एक नजारा राजस्थान के जोधपुर में पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए शरणार्थियों के बीच भी देखनें को मिला। इन शरणार्थियों ने CAA लागू होने की खबर सामने आने के बाद, पटाखे फोड़ते हुए, सरकार के इस कदम का स्वागत किया और अपनी ख़ुशी जाहिर की।
CAA – Pakistan Refugees Celebrates in Rajasthan
#WATCH | Rajasthan: Pakistani refugees in Jodhpur celebrate after the Centre notified the implementation of the Citizenship Amendment Act. pic.twitter.com/zAvyHJ2ooO
— ANI (@ANI) March 11, 2024
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इस संबंध में न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो शेयर किया। वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जोधपुर में रह रहे कुछ पाक शरणार्थियों में CAA लागू होने की खबर पाने के बाद भारी उत्साह है। लोग अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हुए, पटाखे जला रहे हैं और एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं।
विपक्ष ने पूछे कुछ सवाल
CAA को लेकर आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी प्रतिक्रिया आई। उन्होंने इस मामले में X पर एक पोस्ट किया और कहा,
“10 साल देश पर राज करने के बाद एन चुनाव के पहले मोदी सरकार CAA लेकर आयी है। ऐसे वक़्त जब गरीब और मध्यम वर्ग महंगाई से कराह रहा है और बेरोज़गार युवा रोज़गार के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है, उन असली मुद्दों का समाधान करने की बजाय ये लोग CAA लाये हैं।
कह रहे हैं कि तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। यानि ये पड़ोसी देशों के लोगों को भारत में लाकर बसाना चाहते हैं। क्यों? अपना वोट बैंक बनाने के लिए। जब हमारे युवाओं के पास रोज़गार नहीं है तो पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों को रोज़गार कौन देगा? उनके लिए घर कौन बनाएगा? क्या बीजेपी उनको रोज़गार देगी? क्या बीजेपी उनके लिए घर बनाएगी?
लोग इसका लोक सभा चुनाव में जवाब देंगे।”
दस साल देश पर राज करने के बाद एन चुनाव के पहले मोदी सरकार CAA लेकर आयी है। ऐसे वक़्त जब गरीब और मध्यम वर्ग महंगाई से कराह रहा है और बेरोज़गार युवा रोज़गार के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है, उन असली मुद्दों का समाधान करने की बजाय ये लोग CAA लाये हैं।
कह रहे हैं कि तीन पड़ोसी देशों…
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 11, 2024
असल में विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम आगामी लोकसभा चुनावों के ठीक पहले जानबूझकर उठाया गया है। उनका आरोप है कि भाजपा इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहती है, भले देश को आर्थिक व अन्य पहलुओं पर नुक़सान ही क्यों ना हो।
अरविंद केजरीवाल की तरह ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा;
“जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये।”
CAA के बारे में
CAA एक ऐसा कानून है, जिसके तहत 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता दी जा सकेगी। दावा किया जाता है कि इन धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थियों को उत्पीड़न आदि से बचाने के लिए ये कदम उठाया गया है। वैसे देश के कुछ राज्यों जैसे असम, मिज़ोरम आदि में यह लागू नहीं होता है।