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मराठा आरक्षण पर थम नहीं रहा विवाद, मनोज जरांगे पर FIR, अनशन वापस, इंटरनेट सस्पेंड

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FIR against Manoj Jarange, the face of Maratha reservation: महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रहा है, महाराष्ट्र सरकार और मराठा आरक्षण के लिए प्रयासरत मनोज जरांगे एक दूसरे के खिलाफ़ खड़े नजर आ रहे है। जहा सरकार इसको लेकर कोर्ट के फैसले को लेकर अपने आप को असमर्थ बता रही है, दूसरी ओर मराठा आरक्षण के समर्थक इसे लागू करने के लिए राज्यभर में हिंसक प्रदर्शन और भूख हड़ताल जैसे तरीकों से सरकार के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।

इस बीच मराठा आरक्षण के समर्थक और बड़ा चेहरा बन चुके मनोज जरांगे के खिलाफ़ महाराष्ट्र प्रशासन की ओर से दो मामले दर्ज किया गया है, उक्त मामले ऐसी जगहों में दर्ज किए गए है, जहां मनोज जरांगे मौजूद भी नही थे।

दरअसल महाराष्ट्र के बीड जिले में बिना अनुमति के उनके समर्थकों के द्वारा दो जगहों में प्रदर्शन और सड़क जाम करने के आरोप में मनोज जरांगे के ऊपर मामला दर्ज किया गया है। इस बारे में प्रशासन की ओर से कहा गया है, कि मनोज जरांगे के अपील के बाद उनके समर्थकों ने सड़को में उतरकर इस प्रकार से कानून का उलंघन किया है।

बीड प्रशासन के द्वारा मिली (FIR against Manoj Jarange, the face of Maratha reservation) जानकारी के अनुसार करीब 80 लोगों पर गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने, लोक सेवक द्वारा कानूनी रूप से आदेश और महाराष्ट्र पुलिस एक्ट के सेक्शन 135  की अवेहलना का आरोप लगाते हुए मामला पंजीबद्ध किया गया है। इस बीच हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रशासन ने बीड, संभाजीनगर और जालना में शाम 4 बजे तक इंटरनेट सस्पेंड कर दिया गया है।

जरांगे ने भूख हड़ताल की ख़त्म

मराठा आरक्षण के सबसे बड़ा चेहरा बन चुके मनोज जरांगे काफ़ी लंबे समय से भूख हड़ताल में बैठे हुए थे। उन्होंने रविवार के दिन अपने अनशन को ख़त्म कर दिया है, वह मराठा आरक्षण के लिए जालना के अंतरावली सराठी गांव में 10 फरवरी से अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल  17 दिन से चल रही थी। अपनी भूख हड़ताल को खत्म करते हुए अपने आंदोलन के लिए मनोज जरांगे ने मुंबई यात्रा करने की बात भी कही है।

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गौरतलब हो, महाराष्ट्र का मराठा आरक्षण सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है, यह राज्य में बहुसंख्यक आबादी की लंबे समय से मांग रही है, इसके बाद से ही मराठा समुदाय के लोग अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए काफ़ी समय से संघर्ष कर रहे है,और उनका संघर्ष कही जगहों में हिंसक रूप ले चुका है।

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