Indian Govt Approves 100 Percent FDI in Space Sector: भारत सरकार की ओर से अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) को लेकर कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों के साथ देश में स्पेस सेक्टर के विकास की नई संभावनाओं का रास्ता खुल सकेगा। कैबिनेट ने भारत के स्पेस सेक्टर को तीन अलग-अलग वर्गों में विभाजित करते हुए, एफ़डीआई की नई सीमा तय की है।
असल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में स्पेस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दी गई है। सरकार ने देश के अंतरिक्ष उप-क्षेत्र गतिविधियों के आधार पर तीन स्वरूपों में बाँटा है। साथ ही प्रत्येक क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए परिभाषित सीमाओं में भी बदलाव किए गए हैं।
FDI in Space Sector
असल में सरकार अपनी भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत निजी भागीदारी के माध्यम से देश के अंतरिक्ष क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के भी प्रयास कर रही है। और अब ऐसा लगता है कि सरकार की ओर से एफडीआई के नियमों में बदलाव कर स्पेस सेगमेंट में विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने पर भी जोर दिया जाएगा।
इन नए बदलावों के तहत अब सैटेलाइट संबंधित उपकरण बनाने के लिए बाहरी कम्पनियाँ भारत में 100 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कर सकती है। सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, सैटेलाइट सब-सेक्टर को अब तीन श्रेणियों में बाँटा गया है, जिसके लिए अलग-अलग गतिविधियों को आधार बनाया गया। तीनों श्रेणियों में विदेशी निवेश के लिए अलग-अलग सीमाएँ तय की गई हैं।
– नए नियमों के अनुसार, भारत ने अब उपग्रह-विनिर्माण और संचालन, उपग्रह डेटा उत्पादों और उपयोगकर्ता क्षेत्रों में स्वचालित मार्ग के तहत 74% तक एफडीआई की अनुमति होगी। इससे अधिक के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
– वहीं अंतरिक्ष यान के लॉन्च वाहनों और संबंधित प्रणालियों या उप प्रणालियों, स्पेसपोर्ट आदि के निर्माण के लिए स्वचालित मार्ग केतहत 49% तक एफडीआई की अनुमति है। जाहिर है इन गतिविधियों में सरकार की मंजूरी के बाद ही इससे अधिक एफ़डीआई निवेश लिया जा सकेगा।
– इसके साथ ही सैटेलाइट, ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट के कंपोनेंट और सिस्टम और सब-सिस्टम का निर्माण आदि के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक के एफ़डीआई निवेश को मंजूरी दे दी गई है।
अब तक क्या था नियम?
इस संशोधन के पहले यानी अब तक एफडीआई के नियमों कुछ ऐसे थे कि देश के स्पेस सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी सरकारी अनुमोदन के माध्यम से सिर्फ सैटेलाइट बनाने और इसके संचालन के मामले में ही थी।
सामने आ रही जानकारी के अनुसार, अंतरिक्ष विभाग ने IN-SPACe, ISRO और NSIL जैसे तमाम आंतरिक हितधारकों और अन्य औद्योगिक हितधारकों के साथ बातचीत के बाद ही यह बदलाव किए हैं। सरकार का मानना है, निजी क्षेत्र के साथ आने से देश के अंतरिक्ष क्षेत्र में रोज़गार के भी अवसर बढ़ेंगे और साथ ही निवेश बढ़ने से संबंधित क्षेत्र में विशेषज्ञता, तकनीक आदि के लिहाज से भी बदलाव देखनें को मिलेंगे।