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किसान आंदोलन: शंभू बॉर्डर पर बिगड़े हालात, ड्रोन से गिराए गए आंसू गैस के गोले

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Farmers movement Situation worsened :किसानों की विभिन्न मांगो को लेकर दिल्ली मार्च के बीच केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक हुए संवाद में किसी भी प्रकार से हल निकलता नही दिख रहा है, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने एक बार फिर किसानों से प्रदर्शन खत्म करने के लिए इसका हल ढूंढने के लिए एक और बैठक करने जा रहे है, यह केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच अब तक 5वें राउंड की बैठक हो सकती है।

इस बीच किसानों का एक समूह शंभू बॉर्डर में काफ़ी अधिक संख्या में इकट्ठा होते जा रहा है। यह एकत्रित किसान दिल्ली की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे है। हालांकि हरियाणा पुलिस उनके इन प्रयासों को असफल करने के लिए किसानों को रोकने के लिए दो बार आंसू गैस के गोले छोड़े जा चुके हैं पर लगता नही इस बार प्रदर्शनकारी किसानों का समूह पीछे हटने वाला है।

इस बीच हरियाणा पुलिस ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, शंभू बॉर्डर में 14 हजार से अधिक संख्या में एकत्रित हुए है, इस दौरान इस भीड़ में कोई असमाजिक तत्व मिल कर कोई अनहोनी घटना को अंजाम न दे,

हरियाणापुलिस के अनुसार,

 ‘पुलिस पर हमला करने के लिए युवाओं को लाठियों, पत्थरों, फेस मास्क और लोहे की ढालों से लैस किया जा रहा है, शंभू बॉर्डर पर भारी पथराव की संभावना है।’

Farmers movement Situation worsened

कहा जा रहा है, शंभू बॉर्डर पर 1,200 ट्रैक्टरों के साथ 10 हजार लोगो की भीड़ है, जिसमें पुलिस के बैरिकेड पर हमला करने के लिए संशोधित और मजबूत पोकलेन मशीनों और जेसीबी की भी व्यवस्था की गई है। प्रशासन की आशंकाओं के बीच किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों ने कहा है, वे इन मशीनों का उपयोग नहीं करेंगे और केवल आंदोलन के नेता ही आगे बढ़ेंगे।

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पुलिस ने इस बात की चिंता जाहिर करते हुए कहा,शरारती तत्व जो किसान विरोध प्रदर्शन की आड़ में शांति व्यवस्था को बाधित कर सकते हैं और गंभीर कानून व्यवस्था के मुद्दे पैदा कर सकते हैं ऐसे लोगों से किसान संगठनों को बचना चाहिए उन्हे अपना प्रदर्शन शांति पूर्ण ढंग से करना चाहिए। बेरिकेड के आसपास तोड़ फोड़ करने से बचना चाहिए।

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गौरलतब हो, पिछली बार हुए किसान आंदोलन में पुलिस प्रशासन और किसानों के बीच काफ़ी संघर्ष हुए थे, किसानों का प्रदर्शन उग्र हो गया था, किसानों के ओर से पथराव और अन्य प्रकार की हिंसक घटनाओं के बाद पुलिस प्रशासन ने भी बल का प्रयोग करना चालू किया था,जिसके बाद काफ़ी अधिक संख्या में पुलिस और किसानों के घायल होने की बात सामने आई थी।

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