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उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), जानें प्रावधान?

उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), जानें प्रावधान?

  • उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया समान नागरिक संहिता (UCC) बिल
  • राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पल को बताया ऐतिहासिक
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Uttarakhand UCC News: आज (6 फरवरी) का दिन उत्तराखंड के लिया तब अहम हो गया जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सदन के पटल पर समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड या ‘UCC’ संबंधी विधेयक पेश किया। मुख्यमंत्री धामी पहले ही यह ऐलान कर चुके हैं कि UCC के संबंध में राज्य जल्द कानून बनाने का काम करेगा।

कुछ दिनों पहले ही जब राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड से संबंधित कमेटी ने मसौदे को सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपा, तभी से इसकी चर्चा तेज हो गई थी। इसको लेकर लोगों के बीच मिली-जूली प्रक्रियाएँ भी सामने आई। हालाँकि सरकार का दावा है कि अधिकांश संख्या में लोगों की यही माँग रही है और यह सभी नागरिकों की बेहतरी के लिए बनाए जाने वाला क़ानून साबित होगा।

आज विधानसभा में खुद मुख्यमंत्री ने इस बिक को पेश किया। उन्होंने इसकी जानकारी अपने अधिकारिक X (पूर्व में Twitter) अकाउंट पर साझा करते हुए, इस क्षण को ऐतिहासिक करार दिया।

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जानकारों के अनुसार, इस बिल को विधानसभा में पास करवाने में सरकार को बहुत दिक्कत नहीं आएगी। क्योंकि उत्तराखंड विधानसभा में बहुमत बीजेपी के पास ही है। ऐसे में यह लगभग तय है कि इस बिल को पास कर दिया जाएगा। वैसे इस विधेयक को कैबिनेट की मंज़ूरी रविवार को ही मिल गई थी।

दिलचस्प ये है कि देश के आज़ादी के बाद उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। लगभग 2 लाख 33 हज़ार लोगों के राय लेने के बाद, इस विषय में कुल 780 पन्नों का मसौदे तैयार किया गया है।

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UCC में शामिल प्रावधान:

– UCC विधेयक में बहु-विवाह पर रोक और लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाने का प्रावधान शामिल है।

– UCC के मसौदे में 400 से ज़्यादा धाराएं मौजूद हैं।

– UCC में लिव-इन रिलेशनशिप के लिये स्व-घोषणा को अनिवार्य किया गया है।

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– इसके साथ ही शादी के रजिस्ट्रेशन को भी अनिवार्य प्रावधान में शामिल किया गया है।

– इसमें महिलाओं को संम्पत्ति में समान अधिकार देने की बात कही गई है। जबकि कई धर्मों के पर्सनल लॉ में लड़कों और लड़कियों इस मामले में समान अधिकार नहीं हैं।

– अनुसूचित जनजाति के लोगों को UCC के प्रावधानों से छूट रहेगी। साथ ही मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण उपायों को भी नहीं शामिल किया गया है।

– पति पत्नी दोनों को समान आधार पर तलाक लेने का अधिकार।

– पत्नी की मृत्यु होने पर उसके मां-बाप की ज़िम्मेदारी पति पर होगी।

बता दें गोवा में पहले से ही UCC लागू है। यह पुर्तगाली शासन के समय से ही चला आ रहा है। इस क़ानून के लागू होने के बाद किसी भी राज्य में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के लिए समान कानून अपनाए जाते हैं, भले वह अलग-अलग धर्मों के लोग क्यों ना हों, लेकिन सभी पर धर्मों के परे, एक समान क़ानून लागू होता है।

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