Bihar Politics: एक बार फिर से बिहार के लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि उन्हें फिर नए सियासी समीकरणों से बनी सरकार देखनें को मिल सकती है? हाल के दिनों में बिहार मे जारी सियासी उथल-पुलथ के चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार सूर्खियों में बने हुए हैं। एक ओर जेडीयू नेता नीतीश एक बार फिर से बीजेपी के नजदीक आते दिखाई पड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आरजेडी ने भी चुनौती से निपटने के लिए विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है।
इस क्रम में आज (27 जनवरी) के दिन राबड़ी आवास पर आरजेडी के विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक भी बुलाई गई है। इसमें मौजूदा हालातों के बीच वैकल्पिक रास्तों पर चर्चा हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी भी भ्रम की स्थिति को स्पष्ट करते नजर नहीं आ रहे। हालाँकि इस बीच दोनों पार्टियों की ओर से दूरियाँ बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। लेकिन आधिकारिक रूप से पार्टी के शीर्ष नेताओं की ओर से कोई बयान नहीं आया है। मानों जेडीयू और आरजेडी दोनों ही दल एक दूसरे के सब्र का इंतिहान ले रहे हैं।
Bihar Politics: क्या हो सकता है भविष्य?
सियासी गलियारों में खबर है कि नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा का रूख कर सकते हैं और हाल में इसके कुछ संकेत भी देखनें को मिले हैं। अगर यह सच साबित होता है तो नीतीश कुमार एक बार फिर मौजूदा महागठबंधन को तोड़ते हुए, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते नजर आ सकते हैं। लेकिन क्या उसके बाद भाजपा के संभावित सहयोग के साथ वह पुनः मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे या नहीं, ये महत्वपूर्ण सवाल बरकरार है।
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वहीं इस बीच बिहार पूर्व मुख्यमंत्री रहे लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने कुछ दिग्गज नेताओं ने अप्रत्यक्ष रूप से मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के पिछली बयानों की याद दिलाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि अगर जेडीयू मौजूदा महागठबंधन को तोड़ता है तो आरजेडी अन्य दलों को साथ लाकर पहले सरकार बनाने का दावा पेश करने के विकल्प पर भी विचार कर रही है।
विधानसभा में सीटों की स्थिति है अहम
यह पूरा राजनीतिक खेल इसलिए भी और दिलचस्प बना हुआ है क्योंकि बिहार विधानसभा में फिलहाल लालू यादव की पार्टी आरजेडी और बीजेपी दो सबसे बड़े दल हैं, जिनके पाले में लगभग बराबर सीटें कही जा सकती हैं। वर्तमान स्थिति के अनुसार आरजेडी के पास 79 विधायक हैं, जबकि भाजपा दल के 78 विधायक हैं।
वहीं जेडीयू के पास 45 विधायक हैं, जबकि 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को महज़ 19 सीटें ही हाथ लगी थीं। ऐसे में आँकड़ो का गणित और दिलचस्प हो गया है, क्योंकि बिहार में सरकार बनाने के लिए बहुमत के लिहाज से 122 विधायकों का समर्थन आवश्यक है।
Bihar Politics: लोगों की बेचैनी
राजनीति के बीच प्रदेश के लोगों और खासकर युवा वर्ग में अन्य अहम विषयों को लेकर थोड़ी चिंताए बढ़ने लगी हैं। युवाओं की बात करें तो बीतें कुछ समय से बिहार में सरकारी नौकरी (ख़ासकर शिक्षक भर्ती) के मामले में कुछ सुधार दर्ज किया जा रहा था। ऐसा इसलिए भी क्योंकि सरकार में शामिल होने से पहले तेजस्वी यादव हमेशा ही युवाओं से जुड़े रोजगार के प्रश्न उठाते नजर आए थे और ऐसे में उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद युवाओं ने उनसे काफी उम्मीदें भी लगा रखी हैं।
इन उम्मीदों पर वह काफी हद तक काम करते भी दिखाई दिए। कई हज़ार पदो पर सरकारी भर्तियाँ हुईं और आगामी समय में कई और भर्तियों का भी वादा किया गया। लेकिन अब राजनैतिक अस्थिरता के चलते, युवा एक बार फिर सोचने लगे हैं कि अगर ये मौजूदा सरकार सत्ता से जाती है तो क्या इसका असर भर्तियों पर भी देखनें को मिलेगा?