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जापान: 1,250 वर्षों में पहली बार महिलाएं ले सकेंगी इस फेस्टिवल में भाग!

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Japan Allows Women To Participate In ‘Naked Man’ Festival: एक ऐतिहासिक फैसले के तहत जापान ने 1,250 सालों में पहली बार महिलाओं को ‘नेकेड मैन फेस्टिवल’ में भाग लेने की अनुमति प्रदान की है। आपको बता दें, यह जापान में आयोजित किया जाने वाला एक पारंपरिक त्यौहार है।

इसे जापान के आइची (Aichi) प्रान्त के इनाज़ावा शहर में कोनोमिया श्राइन (Konomiya Shrine) द्वारा आयोजित किया जाता है। इस त्यौहार को ‘हाडाका मात्सुरी’ (Hadaka Matsuri) के नाम से जाना जाता है, जो ‘नेकेड मैन फेस्टिवल’ के तौर पर भी प्रसिद्ध है।

यह जानकारी साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट द्वारा प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में सामने आई है। बतौर रिपोर्ट जापान के लगभग 1,250 साल पुराने इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब महिलाओं को इस फेस्टिवल में भागीदारी करने की अनुमति दी गई है।

Japan Allows Women To Participate In ‘Naked Man’ Festival

आपको बता दें, ‘हाडाका मात्सुरी’ या ‘नेकेड मैन फेस्टिवल’ के तौर पर भी मशहूर यह त्यौहार आगामी 22 फरवरी 2024 को आयोजित किया जाना है। शुरुआती अनुमान के मुताबिक, इसमें लगभग 10,000 स्थानीय पुरुष भाग लेते नजर आ सकते हैं।

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लेकिन इस बार लगभग 40 महिलाओं को इस त्यौहार में होने वले कुछ अनुष्ठानों में शामिल होने की अनुमति दी जा रही है, जो पहले सिर्फ पुरुषों के लिए सीमित होते थे। यहाँ वे ‘नाओइज़ासा’ नामक एक अनुष्ठान की बात हो रही है, जिसमें बांस की घास को कपड़े में लपेटकर मंदिर तक मैदान में ले जाना होता है। पहले ये कार्य सिर्फ पुरुषों के लिए ही सीमित था, लेकिन इस बार इसमें महिलाएँ भी भागीदारी करती दिखाई देंगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान महिलाएँ पारंपरिक पोशाक में नजर आएँगी।

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क्या होता है नेकेड मैन फेस्टिवल

जापान के इस फेस्टिवल के दौरान हजारों पुरुष कम से कम वस्त्रों के साथ (जैसे सफेद लंगोटी और सफेद मोजे आदि) भागीदारी करते हुए अनुष्ठानों को पूरा करते हैं। इसमें वह शुरुआती रूप से मंदिर के मैदान के चारों ओर दौड़ लगाते हैं और फिर ठंडे पानी से खुद को शुद्ध करते हुए, मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं।

इस दौरान त्यौहार में शामिल हुए प्रतिभागी कुछ विशेष छड़ियों को भी खोजने के लिए संघर्ष करते दिखाई देते हैं। यह वो टहनियाँ होती हैं, जिन्हें मंदिर के पुजारी द्वारा लगभग 100 अन्य बंडलों के साथ फेंक दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस तरह से उन्हें साल भर ‘गुड लक’ मिल जाता है। हालाँकि इस आयोजन के दौरान भगदड़ व आदि के चलते कई बार कुछ पुरुषों को चोट भी लग जाती है।

नए फैसले को लेकर प्रतिक्रिया

जाहिर है जापान में अधिकतर स्थानीय महिलाओं और समान अधिकारों की माँग करने वाले कार्यकर्ताओं ने इस फैसले की सराहना की है। उनके मुताबिक, यह एक उदाहरण बनेगा ताकि अन्य क्षेत्रों में भी समानता की माँग को मज़बूती से उठाया जा सके।

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