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मालदीव और भारत विवाद पर आया चीन का बड़ा बयान, जानें क्या कुछ कहा?

मालदीव और भारत विवाद पर आया चीन का बड़ा बयान, जानें क्या कुछ कहा?

  • चीन: नई दिल्ली को अधिक खुले दिमाग से रहना चाहिए.
  • चीन, भारत और मालदीव के बीच त्रिपक्षीय सहयोग करने का भी इच्छुक.
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China’s big statement on Maldives and India dispute: मालदीव और भारत तनाव के बीच चीन ने एंट्री ली है। चीन सरकार के मुख्य पत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में नई दिल्ली सरकार और मालदीव विवाद को लेकर भारत सरकार को मशवरा देते हुए खुले दिमाग से रहने जैसी बात संपादकीय में की गई है। जिसके बाद चीनी सरकार के ऊपर भारत मालदीव तनाव के बीच फायदा उठाने के आरोप लग रहे है।

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दरअसल भारत और मालदीव के बीच तनाव बढ़ने की वजह कही न कही मालदीव की नई सरकार का चीनी सरकार से नजदीकियां भी है। हाल के समय में मालदीव सरकार में कुछ मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भारत का मजाक उड़ाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म में टिप्पणी की थी, जिसके बाद से ही भारत मालदीव के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई।

मालदीव सरकार के मंत्रियों की टिप्पणी को लेकर नई दिल्ली सरकार ने औपचारिक रूप से आपत्ति दर्ज की थी, जिसके बाद मालदीव सरकार ने सरकार में शामिल अपने तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया। इन मंत्रियों में मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महज़ूम माजिद का नाम शामिल है साथ ही उस पूरी टिप्पणी और विवाद से सरकार को अलग करते हुए टिप्पणी को व्यक्तिगत राय बताया गया था।

मालदीव राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू फिलहाल चीन दौरे में है,ऐसे समय में चीन ने भारत मालदीव तनाव में फ़ायदा उठाने के लिए सरकार के मुख्य पत्र के जरिए दिल्ली सरकार को मशवरा दिया है।

China’s big statement on Maldives and India dispute: नई दिल्ली को अधिक खुले दिमाग से रहना चाहिए

ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में कहा गया है कि चीन ने हमेशा मालदीव को एक समान भागीदार माना है और उसकी संप्रभुता का सम्मान किया है,

“वह मालदीव और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों का भी सम्मान करता है, माले के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के महत्व से पूरी तरह वाकिफ है।”

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बीजिंग ने कभी भी माले से चीन और भारत के बीच संघर्ष के कारण नई दिल्ली को अस्वीकार करने के लिए नहीं कहा है, न ही वह मालदीव और भारत के बीच सहयोग को चीन के लिए ख़तरे के रूप में देखता है।

इसमें कहा गया, “वह (चीन) चीन, भारत और मालदीव के बीच त्रिपक्षीय सहयोग करने का भी इच्छुक है। नई दिल्ली को अधिक खुले दिमाग से रहना चाहिए,नई दिल्ली को लगता है कि दक्षिण एशियाई देशों के बीच उसका प्रभाव बना रहे। वह चाहते है, मालदीव उनके अनुसार चले और चीन से दूर हो जाएं जबकि उसे(नई दिल्ली)इस बात के बारे में सोचने की जरूर है कि दक्षिण एशियाई देशों में चीन को नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है, चीन समर्थक नेता माने जाने वाले मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद भारत और मालदीव के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। जिसमें भारत और चीन के बीच संघर्ष एक बड़ी वजह रही है।

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