India To Launch Satellite On SpaceX Falcon-9 For First Time: पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी – ‘इसरो’ अपनी अगली पीढ़ी के भारी संचार उपग्रह (कम्यूनिकेशन सैटेलाइट) GSAT-20 (या GSAT-N2) को लॉन्च करने के लिए SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट का इस्तेमाल करेगी। हेवी लिफ्ट लांचर फाल्कन-9 अपनी यह उड़ान फ्लोरिडा से भर सकता है।
यह योजना इसरो की कमर्शियल इकाई ‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड‘ (NSIL) ने बनाई है, जिसके तहत इस वर्ष यानी 2024 की दूसरी तिमाही तक इस भारतीय मिशन का आगाज किया जा सकता है। यह मिशन NSIL और अमेरिका स्थित एयरोस्पेस कंपनी SpaceX के बीच एक लॉन्च सर्विस कॉन्ट्रैक्ट के तहत पूरा किया जाएगा। इसमें फाल्कन-9 पर का इस्तेमाल करते हुए, भारत की ब्रॉडबैंड कम्यूनिकेशन जरूरतों को पूरा करने के लिए एक भारी सैटेलाइट लॉन्च किया जाना है।
India Picks SpaceX For Satellite Launch
‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड’ (NSIL) अंतरिक्ष विभाग के अधीन आने वाली भारत सरकार की ही एक कंपनी और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कमर्शियल इकाई है। साझा की गई जानकारी के मुताबिक, जीसैट-20 (GSAT-20) उपग्रह का पूर्ण मालिकाना हक, संचालन और वित्त पोषण NSIL के हाथों में ही है।
क्या है Falcon-9?
फाल्कन 9 (Falcon-9) असल में एलन मस्क (Elon Musk) की लोकप्रिय एयरोस्पेस कंपनी SpaceX द्वारा विकसित एक पुन: उपयोग में लाए जा सकने वाला टू-स्टेज रॉकेट है। इसके पृथ्वी की कक्षा और उससे आगे लोगों या पेलोड को पहुँचा सकने के लिहाज से डिजाइन और निर्मित किया गया है।
दिलचस्प रूप से फाल्कन-9 रॉकेट का लेटेस्ट लॉन्च बीते मंगलवार को कैलिफोर्निया स्थित वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस में स्पेस लॉन्च कॉम्प्लेक्स 4 ईस्ट से ‘स्टारलिंक उपग्रह मिशन’ के लिए किया गया था।
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India क्यों ले रहा SpaceX की मदद
आपको बताते चलें कि फिलहाल इसरो (ISRO) का LVM3 रॉकेट 4,000 किलो तक के पेलोड को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट तक पहुँचानें में सक्षम है, जबकि तुलनात्मक रूप से फाल्कन-9 (Falcon-9) की क्षमता लगभग दोगुनी कही जा सकती है।
भारत इस मिशन के तहत जिस पेलोड या सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजना चाहता है, उसका वजन लगभग 4,700 किलोग्राम बताया जा रहा है। ऐसे में जाहिर तौर पर भारत को अन्य सक्षम वैश्विक सहयोगियों की जरूरत है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के अनुसार,
“भारत को SpaceX की मदद लेनी पड़ी क्योंकि तय समय पर कोई अन्य रॉकेट उपलब्ध नहीं था।”
वैसे NSIL इसके पहले ही जून 2022 में GSAT-24 नामक एक सैटेलाइट मिशन को अंजाम दे चुका है, जिस सैटेलाइट की क्षमता के उपयोग का पूरा अधिकार Tata Play ने हासिल किया था। GSAT-24 मिशन भी पूरी तरह से NSIL द्वारा वित्त पोषित था, जो फिलहाल ऑर्बिट में लगभग 11 कम्यूनिकेशन सैटेलाइट्स का संचालन कर रहा है।
इस दूसरा मिशन भी देश में ब्रॉडबैंड, IFMC और सेलुलर बैकहॉल सर्विस जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए लागत प्रभावी Ka-Ka बैंड HTS क्षमता प्रदान करेगा। इस जीसैट-20 उपग्रह पर HTS क्षमता का एक बड़ा हिस्सा भारतीय सेवा प्रदाताओं द्वारा उपयोग किया जाएगा। GSAT-20 अपनी Ka-Ka बैंड HTS क्षमता के साथ अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप जैसे द्वीपों समेत पूरे भारत में कवरेज प्रदान करने में सक्षम है।