Assam Plan Reclassify Tea Gardens :असम सरकार राज्य में औद्योगिक इकाई को मजबूत करने के उद्देश्य से एक साहसिक फैसला लेने जा रही है। राज्य में भूमि उपयोग नियम में एक महत्वपूर्ण बदलाव की योजना में विचार कर रही है, जिसके बाद चाय बगान वाली भूमियों का पुनवर्गीकरण किया जा सकता है।
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दरअसल मीडिया रिपोर्ट में प्रकाशित खबरों के अनुसार,चाय बगान भूमि के पुनवर्गीकरण का उद्देश्य राज्य की समृद्ध कृषि विरासत को सावधानीपूर्वक संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में जोर दिया जायेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, राज्य के चाय उत्पादन उद्योग ने राज्य की बड़ी आबादी को स्थायी आजीविका प्रदान की है। ऐसे में इस क्षेत्र में राज्य के आर्थिक विकास में इसकी भूमिका को और अधिक मजबूत करने की योजना में काम किया जायेगा।
उक्त पूरी रिपोर्ट में राज्य के औद्योगिक मंत्री बिमल बोरा के सोशल मीडिया प्लेटफार्म में बयान के आधार में जानकारी प्रदान की गई है।
राज्य के औद्योगिक मंत्री बिमल बोरा ने उक्त योजना के बारे में जानकारी दी कि, राज्य में औद्योगिक क्षेत्रों की पहचान की जाएगी मौजूदा चाय बागानों के भीतर, “पर्यावरणीय स्थिरता से समझौता किए बिना” औद्योगिक परियोजनाओं के लिए उपयुक्त क्षेत्र चयनित किया जायेगा।
Assam Plan Reclassify Tea Gardens: फैसले से राज्य में आर्थिक विकास के क्षेत्र में संभावनाएं उत्तपन्न होगी
हालाँकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि इस कदम या पुनर्वर्गीकरण से किसे लाभ होगा, हितधारक सरकार या मूल भूमि मालिक या फिर चाय बागानों के वर्तमान पट्टाधारक को। अभी फ़िलहाल असम के सभी 700-विषम विनियमित चाय बागानों को पट्टे पर दिया गया है।
राज्य में भूमि के पुनवर्गीकरण के लिए स्थानीय सरकार में बैठके और चर्चाएं शुरू हो चुकी है। जिसमें राज्य के राजस्व के प्रधान सचिव और उद्योग, वाणिज्य और पीई सचिव सहित प्रमुख अधिकारी चुनिंदा चाय बगान भूमि में पुनर्वर्गीकरण की क्षमता का मूल्यांकन कर रहे हैं। सरकार का अनुमान है, इस फैसले से राज्य में आर्थिक विकास के क्षेत्र में संभावनाएं उत्तपन्न होगी।
गौरतलब है, असम सालाना लगभग 700 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन करता जो कि भारत के कुल चाय उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा है। राज्य 3,000 करोड़ रुपये के बराबर अनुमानित वार्षिक विदेशी मुद्रा आय भी कमाता है।