UP Board Introduces Semester System: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड या ‘यूपी बोर्ड’ ने एक बड़े बदलाव का ऐलान किया है। नए सत्र से कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई अब सेमेस्टर प्रणाली के आधार करवाई जाएगी। बोर्ड की कोशिश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करने की है।
इस प्रणाली के साथ नए सत्र से9वीं से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई को 8 सेमेस्टर में बाँटा जाएगा और उसी आधार पर परीक्षाएं भी आयोजित की जाएँगी। जैसा हमनें बताया यह सेमेस्टर प्रणाली अगले साल नए सत्र से लागू कर दी जाएगी।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा नीति के अनुरूप उच्च शिक्षा की तर्ज पर पाठ्यक्रम में बदलाव का खांका तैयार किया है। यह तमाम जानकारियाँ अमर उजाला की एक हालिया रिपोर्ट के हवाले से सामने आई हैं।
UP Board Semester System: पैटर्न
सामने आई जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग ने यूपी बोर्ड के इस सेमेस्टर सिस्टम के तहत हर सेमेस्टर की परीक्षा में 50 नंबर के प्रयोगात्मक सवालों को शामिल करने का फैसला किया है। इनमें से 20 मार्क्स के सवालों के जवाब ओएमआर (OMR) शीट पर ही देने होंगे। इसके साथ 50 नंबर की लिखित परीक्षा भी देनी होगी। इस लिखित परीक्षा में सवालों के विकल्प देखनें को मिलेंगे। दिए गए संबंधित विकल्पों में से छात्रों को किन्हीं एक का जवाब देना होगा।
आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस स्ट्रीम खत्म
दिलचस्प रूप से यूपी बोर्ड ने अब विज्ञान (साइंस), कला (आर्ट्स) और वाणिज्य (कॉमर्स) जैसी अलग-अलग स्ट्रीम को भी खत्म करने का फैसला किया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर पेश किए गए नेशनल करिकुलर फ्रेमवर्क के तहत यूपी का माध्यमिक शिक्षा विभाग अलग-अलग स्ट्रीम खत्म करने जा रहा है।
उदाहरण के लिए नए सत्र से आर्ट्स स्टूडेंट्स भी साइंस या कॉमर्स जैसे विषय पढ़ सकेंगे। अगर कोई साइंस स्ट्रीम का स्टूडेंट फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ ही आर्ट्स स्ट्रीम के कुछ विषयों जैसे इतिहास या राजनीति शास्त्र आदि पढ़ना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है।
क्या होगा फायदा?
जाहिर है इस नई प्रक्रिया या पैटर्न के तहत एक ओर जहाँ छात्रों को अपनी दिलचस्पी के आधार पर विषयों को चुन सकने की आजादी मिल सकेगी, वहीं उनके पास स्किल आधारित पढ़ाई करने का भी मौका होगा।
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यूपी बोर्ड के नए सेमेस्टर सिस्टम के तहत छात्र साल में अलग-अलग सेमेस्टर के निर्धारित विषयों की परीक्षा दे सकेंगे। ऐसा करने से छात्रों के लिए एक ही बार में पूरा भारी भरकम सिलेबस पढ़ते हुए, उसकी परीक्षा देने का बोझ व तनाव कम हो सकेगा।
साथ ही स्कूलों व संस्थानों के पास भी स्टूडेंट्स का उचित मूल्यांकन कर सकने के अवसर होंगे और वह सेमेस्टर में विभाजित होने के चलते विषयवार तरीके से भी अधिक रफ्तार के साथ इस काम को कर सकेंगे। इसके बाद छात्र अपनी कमजोरियों व खामियों को समझते हुए, उसमें सुधार कर सकते हैं।