“India Child Marriage Report – Lanset”: भारत में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने के सरकार लाख दावे भरे, मगर जमीनी हकीकत कुछ ओर ही नजर आती है, यह हम नही कह रहे हालिया प्रकाशित लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की रिपोर्ट में दावा किया गया है।
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दरअसल हावर्ड यूनिवर्सिटी के विद्वान और भारत से जुड़े लोगों ने रिपोर्ट के आधार में कहा, भारत में बाल विवाह कुछ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में ये आम हो चुका है, जिसके कारण भारत के कुछ राज्यों में बाल विवाह में वृद्धि देखी गई है, हालांकि भारत में बाल विवाह दर में राष्ट्रीय स्तर में गिरावट दर्ज की गई।
भारत में बाल विवाह लड़कियो की दर सूची में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर है, जहां 41.4 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है, वही राजस्थान में यह दर 21.3 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है, भारत में अभी भी 5 में से 1 लड़की और 6 में से 1 लड़के की शादी बचपन में ही हो जाती है।
रिपोर्ट के आधार में कहा गया है, मणिपुर, पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल सहित छह राज्यों में बालिका विवाह में वृद्धि हुई है, जबकि छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर और पंजाब सहित आठ राज्यों में बालक बाल विवाह में वृद्धि देखी गई है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है, भारत में पांच में से एक लड़की और छह में से एक लड़का क्रमशः 18 और 21 वर्ष की कानूनी रूप से स्वीकृत उम्र से पहले शादी के बंधन में बंध जाते हैं। यह भारत में बाल विवाह के संकट को खत्म करने की दिशा में हुई प्रगति में ठहराव को दर्शाता है।
India Child Marriage Report – Lanset बाल बालिका विवाह से लड़कियो में प्रभाव अधिक पड़ता है
यूनिसेफ के अनुसार,बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है जिससे उनपर हिंसा, शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहता है। बाल विवाह लड़कियों और लड़कों दोनों पर असर डालता है, लेकिन इसका प्रभाव लड़कियों पर अधिक पड़ता है।
जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसे घरेलू हिंसा तथा एचआईवी / एड्स का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। खुद नाबालिग होते हुए भीउसकी बच्चे पैदा करने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान गंभीर समस्याओं के कारण अक्सर नाबालिग लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती हैं।