संपादक, न्यूज़NORTH
Government Bans ‘Dark Pattern’ On E-Commerce Platforms: भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मो पर ‘डार्क पैटर्न’ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार के अनुसार, यह कदम तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स उपभोक्ता आधार के हितों की रक्षा के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
इस संबंध में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की ओर से ‘डार्क पैटर्न रोकथाम एवं विनियमन दिशानिर्देश’ (Guidelines For Prevention And Regulation Of Dark Patterns) को लेकर गजट अधिसूचना जारी की गई।
आपको बता दें, इस अधिसूचना में शामिल नियम व दिशानिर्देश देश के भीतर प्रोडक्ट्स और सेवाओं की पेशकश करने वाले सभी ऑनलाइन कॉमर्स प्लेटफॉर्मो के साथ ही साथ विज्ञापनदाताओं तथा विक्रेताओं पर भी लागू होते हैं।
Government Bans Dark Pattern: क्या है डार्क पैटर्न?
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, ‘डार्क पैटर्न’ शब्द का इस्तेमाल ऐसी प्रथा के लिए होता है, जिसके तहत किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर यूजर इंटरफेस या उपयोगकर्ता अनुभव इंटरैक्शन का इस्तेमाल करके, ग्राहकों को धोखा देने या उनके व्यवहार अथवा पसंद को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है।
इसे एक तरह की प्रैक्टिस या भ्रामक डिजाइन पैटर्न के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें उपयोगकर्ताओं को कुछ करने के लिए गुमराह किया जाता है, जिसको लेकर मूल रूप से उनका कोई इरादा नहीं था। इसे उपभोक्ता की निर्णय लेने संबंधित स्वायत्तता या पसंद से छेड़छाड़ के रूप में देखा जा सकता है।
उदाहरण के तौर पर समझनें की कोशिश करें तो ‘बास्केट स्नीकिंग’ (Basket Sneaking) एक तरह का डार्क पैटर्न ही होता है। इसमें उपयोगकर्ता की सहमति के बिना किसी प्लेटफ़ॉर्म से चेकआउट करते समय अतिरिक्त आइटम जोड़ दिए जाते हैं, जैसे कोई प्रोडक्ट, सर्विस, चैरिटी (दान) आदि। जाहिर है ऐसे में उपयोगकर्ता को चुने गए प्रोडक्ट या सेवा की कीमत से अधिक भुगतान करना पड़ता है, वह भी अनजाने में!
इसी तरह, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की ओर से इंडस्ट्री को सिर्फ उदाहरण प्रदान करने के लिए 13 डार्क पैटर्नो का जिक्र किया गया है।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डार्क पैटर्न बैन: क्या कहते हैं निर्देश
नए दिशानिर्देशों के मुताबिक ऑनलाइन कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म आदि के द्वारा किसी प्रकार के ‘डार्क पैटर्न’ का भी सहारा लेना उपभोक्ता अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन माना जाएगा। साथ ही इसे भ्रामक विज्ञापन या अनुचित व्यापार के तरीके के रूप में देखा जाएगा।
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ऐसे में उस प्लेटफ़ॉर्म पर ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम’ में शामिल प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है।