99 Percent of Mobiles Used In India Are Made In India: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में खुद को वैश्विक स्तर पर एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने की कोशिशें कर रहा है और इसमें महत्वपूर्ण रूप से कामयाबी भी मिलती नजर आ रही है। सोमवार (27 नवंबर) को ही केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह बताया कि वर्तमान समय में देश में इस्तेमाल होने वाले 99 प्रतिशत से अधिक मोबाइल फोन स्थानीय रूप से बनाए जा रहे हैं।
आसान शब्दों में कहें तो फिलहाल भारत में बिक रहे 99.2 प्रतिशत मोबाइल फोन ‘मेड इन इंडिया’ हैं। अपने एक्स पोस्ट में अश्विनी वैष्णव ने यह भी लिखा कि मौजूदा आँकड़ा 2014 के मुकाबले 20% की वृद्धि को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, देश में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग बाजार का मूल्यांकन $44 बिलियन के आँकड़े को भी पार कर गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय भारत में न सिर्फ मोबाइल फोनों का निर्माण हो रहा है, बल्कि देश तकनीकी रूप से भी आगे बढ़ रहा है। अब तमाम फोनों के पार्ट्स भी स्थानीय स्तर पर तैयार किए जाते हैं।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार,
“पिछले 9.5 सालों में देश उस स्तर पर पहुंच गया है जहाँ इलेक्ट्रॉनिक्स और उत्पादों का निर्माण ‘निर्यात-आधारित वृद्धि’ के तहत हो रहा है। इसमें उद्योग से जुड़े प्रत्येक कर्मचारी का योगदान है।”
99 Percent of Mobiles Used In India Are Made In India
आँकड़ो पर नजर डालें तो वर्तमान में भारत के भीतर 931 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता होने की बात कही जाती है, और आँकलन के मुताबिक साल 2025 तक यह आँकड़ा 1.1 बिलियन हो जाएगा।
हाल में ही हमनें देखा है कि टेक दिग्गज Apple ने भी देश में iPhone उत्पादन बढ़ाने में ना सिर्फ रुचि दिखाई है, बल्कि कई गंभीर प्रयास भी किए हैं। कंपनी आगामी 4 से 5 वर्षों के भीतर $40 बिलियन से अधिक का उत्पादन लक्ष्य लेकर चल रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा ग्रुप की इकाई टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, कर्नाटक के होसुर में अपनी मौजूदा आईफोन-केसिंग यूनिट के आकार को दोगुना करने की योजना बना रही है।
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वहीं दूसरी ओर Google ने भी भारत में पिक्सल स्मार्टफोन के निर्माण का ऐलान किया है। कंपनी Pixel 8 और Pixel 8 Pro से शुरुआत करते हुए, साल 2024 तक स्थानीय रूप से निर्मित पहला डिवाइस लॉन्च कर सकती है।
जाहिर है, ये तमाम चीजें भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में मददगार साबित हो सकती हैं। इसके पीछे भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव’ (पीएलआई) जैसी पहलों का भी अहम योगदान है, जिनका मूल उद्देश्य वस्तुओं के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना है।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, भारत अब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का एक प्रमुख निर्यातक है और भविष्य में इसका निर्यात बढ़ता ही नजर आएगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत में लैपटॉप, पीसी, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के हर क्षेत्र में ऐसी स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने की कोशिशें की जा रही हैं।