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ऑस्ट्रेलिया में पहले ‘मून रोवर’ के नामकरण के लिए शूरू की वोटिंग, जानें क्या हैं विकल्प?

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Australia Votes To Name Its First Moon Rover: भारत के चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद दुनिया के अन्य देश जो अब तक चंद्रमा की सतह में पहुंचने में नाकाम थे, वह भी अब चंद्रमा की सतह में पहुंचने के लिए कोशिश करने लगें है। इन्ही सब कोशिशों के बीच ऑस्ट्रेलिया का चंद्र मिशन काफ़ी चर्चाओं में है। ऑस्ट्रेलिया,अमेरिकी एजेंसी नासा के साथ एक समझौते के तहत 2026-27 में चंद्रमा में अपना पहला रोवर भेजने की तैयारी में लगी हुई है।

ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसी नासा के साथ मिलकर ट्रेलब्लेजर कार्यक्रम के तहत रोवर बना रही है, जो चंद्रमा और मंगल के लिए एक कार्यक्रम होगा। रोवर में ऑस्ट्रेलिया के रिमोट ऑपरेशन विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा, जिसमें चंद्रमा की मिट्टी के नमूने जमा कर उसमें से ऑक्सीजन निकलने के प्रयोग किए जाएंगे।

यह ऑस्ट्रेलिया के अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह चांद पर उतरने वाला देश का पहला रोवर होगा। हालांकि, अभी तक इस रोबोट को कोई नाम नहीं दिया गया है।

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अब ऑस्टेलियन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चांद की सतह में उतरने वाले पहले रोवर के लिए आस्ट्रेलिया के लोगों को देश के पहले चंद्रमा रोवर के नाम पर वोट करने का अवसर दिया गया है। ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी (ASA) ने सोमवार (20 नवंबर) को रोवर के लिए चार नामों की घोषणा की, जिन्हें जनता से मिली 8,000 से अधिक प्रविष्टियों में से चुना गया।

Australia Votes To Name Its First Moon Rover: 1 दिसंबर तक वोटिंग

कूलामोन, काकिरा, मेटशिप या रू-वर चार नामों के लिए ऑस्टेलिया नागरिक 1 दिसंबर तक वोटिंग कर सकेंगे वोटिंग के बाद इसमें से किसी एक नाम के विजेता की घोषणा 6 दिसंबर को की जाएगी।

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रोवर के चार चयनित नामों के भिन्न भिन्न अर्थ हैं, जिसमें काकिरा को लेकर कहा गया है कि दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में कौरना आदिवासी लोगों की भाषा में काकिरा का मतलब चंद्रमा होता है। वही दूसरा नाम मेटशिप ऑस्ट्रेलिया में दोस्ती के नेशनल करेक्टर ट्रेट्स के लिए एक कल्चरल शब्द है, और तीसरा रू-वेर ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित कंगारुओं को शामिल करता है। वही आखरी चौथा नाम कूलामोन एक जहाज के नाम से प्रेरित है, जिसका इस्तेमाल स्वदेशी आस्ट्रेलियाई लोगों को इकट्ठा करने और ले जाने के लिए किया जाता है।

इस रोवर का मकसद चंद्रमा की मिट्टी का गहराई से अध्ययन करना होगा और इसके साथ ही उसमें से ऑक्सीजन को निकालने की क्षमता विकसित करने का कार्य  करेगा।

ज्ञात हो, चंद्रमा में इंसानों के लंबे समय तक रुकने के लिए ऑक्सीजन और पानी दोनों की जरूरत होंगी ऐसे में जरूरी है कि ये दोनों चंद्रमा के ही संसाधनों से हासिल किए जाएं Nasa और ऑस्ट्रेलिया का यह संयुक्त प्रयास अंतरिक्ष मिशन का एक बड़ा काम आसान कर सकता है।

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