Manipur Violence – Meitei Five Year Ban: देश के पूर्वोत्तर राज्यों में से एक मणिपुर बीते कुछ महीनों से जातिगत हिंसा की आग में जल रहा है। मणिपुर में रहने वाले दो समुदाय के लोगों का आपस में एक दूसरे के साथ तकरार बड़े टकराव में तब्दील हो चुका है। क्षेत्र में बच्चों और महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है।
सरकार किसी भी तरह से इन दोनों समुदाय के बीच होने वाली हिंसा को खत्म करने के लिए यथासंभव प्रयास में लगी हुई है, अब केंद्र सरकार ने राज्य के कुछ समाजिक संगठनों के खिलाफ़ बड़ी करवाई की हैं।
दरअसल, मणिपुर में जारी हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने मैतेई समुदाय से जुड़े कुछ कट्टरपंथी संगठनों पर बैन लगा दिया है। सरकार ने संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों में देखते हुए पीपल लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड नेशनल फ्रंट, मणिपुर पीपल आर्मी पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
Manipur Meitei Ban: मैतेई समुदाय के चरमपंथी संगठन पर लगा 5 साल का बैन
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने 13 नवंबर (सोमवार) को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, इसमें कहा गया कि मैतेई चरमपंथी संगठन, उनके गुटों, विंग्स और फ्रंट ऑर्गनाइजेशंस को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 5 साल के लिए गैरकानूनी घोषित किया जाता है।
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केंद्र सरकार ने करवाई करते हुए, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की राजनैतिक शाखा रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (RPF), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (MPA) पीपुल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (PREPAK), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (KCP), कांगलेई याओल कनबा लुप (KYKL), कोऑर्डिनेशन कमेटी (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (ASUK) जैसे संगठनों के ऊपर पांच साल का बैन लगाया हैं।
गृह मंत्रालय ने कहा कि, मैतई चरमपंथी संगठन भारत की संप्रभुता और अखंडता के विरुद्ध गतिविधियों में शामिल रहे हैं और अपने अलगाववादी उद्देश्यों के लिए सशस्त्र तरीकों में शामिल हो रहे हैं, वे मणिपुर में सुरक्षा बलों, पुलिस तथा नागरिकों पर हमले कर रहे हैं एवं उनकी हत्या कर रहे हैं। इन सभी संगठनों के द्वारा देश विरोधी गतिविधियों के चलते इनके ऊपर कार्यवाई की गई हैं।
Manipur violence: 200 से अधिक लोगों के मारे और 60 लोगों के विस्तापित हो जाने की ख़बर
बता दे, इसी साल 3 मई से शुरू हुई मणिपुर हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोगों के मारे गए हैं। हिंसा ऐसी भड़की कि दोनों समुदायों के लोगों के सैकड़ों मकानों को जला दिया गया या फिर तबाह कर दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक दोनों समुदायों के करीब 60 हज़ार लोग विस्थापित हो चुके हैं, जो अब स्कूलों, खेल परिसरों या फिर अन्य जगहों पर रह रहे हैं और अपने घर नहीं लौट पा रहे।