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सुप्रीम कोर्ट के कहा, “पूरे देश में लगे पटाखों पर बैन, सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं आदेश”

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Supreme Court Banned Firecrackers In India?: देश के कई राज्यों खासकर दिल्ली और मुंबई में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद भयावह है। दिल्ली में तो मानों एयर इमरजेंसी जैसे हालात बन गए हैं। कई इलाकों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 450-500 के बीच पहुँच गया है। ‘स्कूलों’ से लेकर ‘निर्माण कार्य’ तक बंद कर दिए गए हैं, ‘ट्रैकों’ की रफ्तार थाम दी गई है और राज्य में वापस से ऑड-ईवेन (Odd-Even) नियम लागू करने की घोषणा कर दी गई है।

लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने आज (07 नवंबर) दिल्ली-एनसीआर समेत देश भर के अन्य शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मामलों की सुनवाई के दौरान के बड़ी टिप्पणी की। देश की सर्वोच्च अदालत ने साफ शब्दों में यह कहा;

“हमने पटाखें बैन करने को लेकर पहले जो आदेश दिया था, वह सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के लिए सीमित नहीं था। पटाखों को बैन करने का हमारा आदेश देश के सभी राज्यों (पूरे देश) के लिए था। हमने पटाखों पर पूरी तरह बैन लगाने का निर्णय राज्य सरकारों पर छोड़ा था।”

क्या था आदेश?

याद दिला दें साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता की स्थिति सुनिश्चित करने के लिहाज से कई निर्देश पारित किए थे, जैसे कि दिवाली से पहले पटाखों में प्रतिबंधित रसायनों का इस्तेमाल न किया जाए।

उस समय ही अदालत में सुनवाई करने वाली पीठ ने यह भी साफ कर दिया था कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है, केवल उन्हीं पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है जिनमें बेरियम के कण मौजूद होते हैं। 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के बाद हरित पटाखों को अनुमति दी गई थी।

हालाँकि बढ़ते प्रदूषण स्तर के बीच दिल्‍ली में पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमिटी की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली में 1 जनवरी 2024 तक पटाखों पर बैन जारी रहेगा। याद दिला दें, 11 सितंबर को दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री, गोपाल राय ने पटाखे पर पूरी तरह से बैन लगाने का ऐलान किया था।

Supreme Court Banned Firecrackers?

असल में शीर्ष अदालत की ओर से यह टिप्पणी तब आई जब न्यायालय की एक पीठ त्योहारी सीजन के दौरान बेरियम पटाखों पर प्रतिबंध और वायु व ध्वनि प्रदूषण को कम करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए राजस्थान राज्य को निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका की सुनवाई कर रही थी।

इस मामले में अदालत ने कहा;

“किसी नए निर्देश की आवश्यकता नहीं है। राजस्थान राज्य को कोर्ट के पिछले आदेशों पर विशेष ध्यान देना चाहिए और उसका आदेश देश के सभी राज्यों के लिए बाध्यकारी है।”

कोर्ट ने स्पष्ट लहज़ें में याद दिलाया कि सर्वोच्च अदालत की ओर से अस्पतालों जैसी स्वास्थ्य संबंधी जगहों पर पटाखे न चलाने, तथा पटाखों को चलाने की समय सीमा तय करने के निर्देश भी दिए गए थे। शीर्ष अदालत ने आगे कहा;

“राजस्थान के जो इलाके एनसीआर क्षेत्र में आते हैं, उन पर भी दिल्ली-एनसीआर वाले नियम लागू होंगे।”

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अपनी टिप्पणी के दौरान अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए यह भी कह डाला कि प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ अदालत की नहीं है। यह सभी की जिम्मेदारी बनती है, और खासतौर पर सरकार इसके प्रति सबसे अधिक जवाबदेह है।

पंजाब सरकार और पराली को लेकर कही गई ये बातें?

दिल्ली एनसीआर के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

“हम चाहते हैं कि पराली जलाना बंद हो। हमें नहीं पता कि आप यह कैसे करेंगे, लेकिन ये आपका काम है। और इस संबंध में तुरंत कोई कदम उठाने होंगे।”

“यह एक तरीके से लोगों के स्वास्थ्य की हत्या है। आप पराली जलाने को बंद क्यों नहीं करवा पा रहे हैं?”

इस बीच अदालत ने प्रदूषण के मुद्दे को लेकर हो रही राजनीति पर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि  इस मसले पर राजनीतिक दोषारोपण का खेल बंद होना चाहिए।

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