Maratha Reservation Movement: महाराष्ट्र सरकार ने प्रदेश में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बड़ा बयान जारी किया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य में हुई सर्वदलीय बैठक के बाद मुंबई में मीडिया में बयान जारी किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा की हमारी सरकार मराठा आरक्षण के पक्ष में है। सरकार को आरक्षण लागू करने की कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए समय चाहिए। मराठा आरक्षण के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्त्ता अनसन पर बैठे मनोज जारांगे से भी अपील है कि वो अनशन खत्म करें। साथ ही मराठाओं को संयम बरतने की बात की।
सर्वदलीय बैठक में मराठा आरक्षण के लिए लाए गए प्रस्ताव में मुख्यमंत्री शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे सहित अन्य ने हस्ताक्षर कर सहमति जताई।
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Maratha Reservation Update: अब तक 9 लोगों ने की आत्महत्या
मराठा समुदाय आरक्षण के लिए सरकार और राजनैतिक दलों के खिलाफ मुखर विरोध प्रदर्शन में उतर चुका है। एक ओर जहां सरकार और राजनीतिक दलों के खिलाफ़ हिंसक प्रदर्शन किया जा रहा हैं । वही दूसरी ओर एक महिला समेत 9 और लोगों ने प्रदर्शन के दौरान आत्महत्या कर ली। 19 से 31 अक्टूबर तक यानी 13 दिनों में 25 लोग सुसाइड कर चुके हैं। यह संख्या 1990 के मंडल आंदोलन के दौरान की गई आत्महत्याओं के आंकड़े के बाद सबसे ज्यादा है।
राज्य में मराठा आरक्षण के समर्थन में हिसंक प्रदर्शन
मराठा आरक्षण को लेकर एक बार फिर राज्य में मांग तेज हो गई है। मराठा समुदाय के लोग आरक्षण के लिए राज्य में हिंसक प्रदर्शन में उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने राज्य के एनसीपी नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हसन मुश्रीफ के काफिले की गाड़ी के साथ तोड़फोड़ की गई। सरकारी बसों में तोड़फोड़ कर बसों को आग के हवाले कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने बीड के माजलगांव नगर परिषद कार्यालय में तोड़फोड़ करके उसे आग के हवाले कर दिया। मराठा आंदोलन के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे समाजिक कार्यकर्ता मनोज जारांगे 8 दिनों से भूख हड़ताल में बैठे हुए है। अब उन्होंने सरकार से मराठों के हित में फैसला न लेने की सूरत में जल भी त्यागने की चेतावनी दे दी है।
गौरतलब है , महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी राज्य की कुल आबादी की 33% यानी 4 करोड़ के करीब है। ये लोग ज्यादातर भूमिहीन किसान है। सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े ये लोग राज्य में लंबे समय से मराठा आरक्षण की मांग कर रहे है। पूर्व में राज्य विधानमंडल ने समाज की मांग को मानते हुए मराठा समुदाय को 16% सामाजिक और शैक्षणिक आरक्षण देने के लिए पिछड़ा वर्ग में घोषित किया था।
फैसले के विरोध में मराठा आरक्षण का मुद्दा कोर्ट में जा पहुंचा जहां बांबे हाईकोर्ट ने आरक्षण संख्या 16 से घटाकर 12 से 13 फ़ीसदी करने को कहा गया। इस फैसले के खिलाफ़ आरक्षण के विरोध में बॉम्बे हाईकोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तब सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया और कानून को रद्द कर दिया। अदालत ने माना कि मराठा आरक्षण 50 फीसदी सीलिंग का उल्लंघन कर रहा है।