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भारतीय स्टार्टअप Skyroot ने पेश किया 7-मंजिला लंबा Vikram-1 रॉकेट

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Image courtesy: Skyroot Aerospace

Skyroot Unveils Vikram-1 Space Rocket: अंतरिक्ष जगत में भारत तेजी से अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रहा है। और दिलचस्प ये है कि इसमें इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ ही साथ प्राइवेट कंपनियाँ या स्टार्टअप्स का अहम भूमिका निभा रहीं हैं। इसी क्रम में अब हैदराबाद आधारित स्पेस-टेक स्टार्टअप – स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) ने मल्टी-स्टेज लॉन्च रॉकेट ‘विक्रम -1’ (Vikram-1) से पर्दा उठाया है।

स्काईरूट एयरोस्पेस ने ‘विक्रम -1’ का अनावरण कंपनी के नए मुख्यालय ‘Max-Q’ में किया गया, जिसका उद्घाटन केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, जितेंद्र सिंह ने किया। इस नए मुख्यालय में लॉन्च व्हीकल बनाने से संबंधित डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग जैसी तमाम सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जहाँ एक साथ 300 लोग काम कर सकते हैं।

कंपनी अगले साल 2024 तक सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए विक्रम -1 का इस्तेमाल करती नजर आएगी। स्काईरूट एयरोस्पेस के अनुसार, इस लॉन्च व्हीकल की पेलोड क्षमता 300 किलोग्राम तक है। यह सात मंजिला लंबा रॉकेट उपग्रह को ‘पृथ्वी की निचली’ कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) तक पहुँचानें में सक्षम है।

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विक्रम-1 सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल की बॉडी पूरी तरह कार्बन-फाइबर से बनाई गई है, जिसमें 3डी प्रिंटेड लिक्विड इंजन का इस्तेमाल किया गया है। यह स्काईरूट द्वारा पेश किया गया दूसरा रॉकेट है।

इस दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा;

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“अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप्स ने लंबी छलांग लगाई है और स्काईरूट इसमें रोल मॉडल बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार साल पहले अंतरिक्ष बाजार को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलकर अपार अवसर प्रदान किए।अकेले इस क्षेत्र में 150 स्टार्टअप हैं, जो अपनी क्षमताओं की बदौलत वैश्विक बाजारों में भी खरे उतर रहे हैं।”

इसके पहले कंपनी ने नवंबर 2022 को विक्रम-S नामक रॉकेट की सफल लॉन्चिंग की थी। यह सिंगल-स्टेज सब-ऑर्बिटल हाइपरसोनिक रॉकेट था, जिसका मतलब ये है कि ये आवाज की गति से पांच गुना अधिक रफ्तार से अंतरिक्ष की ओर बढ़ा था।

Image Credit: Skyroot Aerospace

Skyroot Aerospace के बारे में!

इस बीच बात करें Skyroot Aerospace की तो इसकी शुरुआत साल 2018 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक रहे, पवन कुमार चंदना (Pawan Kumar Chandana) और नागा भारथ डाका (Naga Bharath Daka) ने मिलकर की थी।

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