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भ्रामक विज्ञापन को लेकर जाँच के दायरे में Unacademy, Drishti IAS समेत 20 कोचिंग संस्थान: रिपोर्ट

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Govt Sends Notice To 20 IAS Coaching Institutes Over Misleading Ads: देश में कोचिंग संस्थानों द्वारा छात्रों को आकर्षित करने के लिए विज्ञापनों में किए जाने वाले भ्रामक दावों को लेकर अब सरकार सख्त रूख अपनाती नजर आ रही है। इस संबंध में फिलहाल देश के तमाम आईएएस कोचिंग संस्थानों से शुरुआत की जा रही है।

सामने आ रही खबरों के अनुसार, सरकार की ओर से एक बड़ी कार्रवाई के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) परीक्षा की तैयारी करवाने वाले 20 कोचिंग संस्थानों के ख़िलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावों और परीक्षाओं में टॉपर्स रहे अभ्यार्थियों की तस्वीरों के अनुचित इस्तेमाल को लेकर जाँच शुरू करने जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से सामने आई जानकारी के अनुसार, देश के कुछ प्रमुख आईएएस कोचिंग संस्थान भी इस जाँच के दायरे में हैं, जिनमें दृष्टि आईएएस (Drishti IAS), बायजूस आईएएस (BYJU’S IAS), वाजीराव एंड रेड्डी (Vajirao & Reddy), विजन आईएएस (Vision IAS) और योजना आईएएस (Yojana IAS) जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं।

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इसके अलावा भी अन्य कई संस्थान भी जाँच और सुनवाई संबंधित विभिन्न चरणों में हैं। यह सब ऐसे वक्त में किया जा रहा है जब CCPA पहले से राउज आईएएस स्टडी सर्कल (Rau’s IAS Study Circle), चहल अकादमी (Chahal Academy) और आईक्यूआरए आईएएस (IQRA IAS Institute) पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है।

वैसे इस जुर्माने के आदेश के खिलाफ कुछ संस्थानों द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग में अपील दायर किए जाने की बात भी सामने आई है। कुछ ने इस नोटिस के ख़िलाफ स्थगन का आदेश भी प्राप्त कर लिया है।

क्या है आरोप?

जानकारों के मुताबिक, तमाम आईएएस कोचिंग संस्थान जानबूझकर अपने विज्ञापनों में अहम जानकारियाँ छिपाते हुए, प्रतियोगी छात्रों के सामने भ्रामक दावे करते हैं और उन्हें संस्थान ज्वाइन हेतु आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। होता ये है कि यूपीएससी (UPSC) जैसी प्रशासनिक सेवाओं में चयनित उम्मीदवारों ने विभिन्न विषयों और प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा या इंटरव्यू आदि के लिए अलग-अलग संस्थानों में कोचिंग ली होती है।

लेकिन चयन के बाद, तमाम संस्थान स्पष्ट रूप से यह नहीं बताते हैं कि वह जिन उम्मीदवारों की तस्वीर का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्होंने संस्थान में किन पाठ्यक्रमों की पढ़ाई की है। जबकि वास्तविकता यह होती है कि अधिकांश रैंक धारकों ने इन कोचिंग संस्थानों से केवल मॉक इंटरव्यू ही दिए होते हैं।

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इस बात में कोई शक नहीं है कि भारत में कोचिंग उद्योग एक बड़ा सेक्टर बन गया है, जो सलाना हजारों करोड़ का राजस्व पैदा करता है। खासकर बात करें आईएएस समेत केंद्र व राज्य सरकारों की प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं से संबंधित कोचिंग संस्थानों की तो दिल्ली समेत देश के तमाम हिस्सों में यूपीएससी कोचिंग सेंटर्स का जाल फैला हुआ है।

और एक बाद यूपीएससी व अन्य आयोगों द्वारा परीक्षा के परिणाम घोषित किए जाने के बाद, इन तमाम कोचिंग संस्थानों में रैंक हासिल करने वाले छात्रों का नाम व तस्वीर इस्तेमल करने की होड़-सी लग जाती है।

उदाहरण के रूप से समझे तो साल 2022 में यूपीएससी के अंतिम परिणाम में कुल 933 उम्मीदवार ही सफल घोषित किए गए थे, लेकिन कुछ 10 से 20 कोचिंग संस्थान अपने-अपने विज्ञापनों में कुल 3,000 से अधिक छात्रों को सफलता दिलाने का दावा करते नजर आए।

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