Indian Startups Layoffs Over 30000 Employees Since 2022: पिछले कुछ सालों से ‘छंटनी’ शब्द खबरों से गयाब होने का नाम ही नहीं ले रहा है। वैश्विक आर्थिक हालातों और मंदी की आशंकाओं का असर भारतीय स्टार्टअप्स पर भी पड़ा है, जिसके चलते स्टार्टअप जगत ‘फंडिंग विंटर’ यानी निवेश की कमी और लगातार ‘कर्मचारियों को निकालने’ जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।
आलम ये है कि साल 2022 से अब तक देश भर के लगभग 95 स्टार्टअप्स कुल लगभग 31,965 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुके हैं। यह आँकड़े मनीकंट्रोल के लेऑफ ट्रैकर के हवाले से सामने आये हैं। बताया गया है कि अधिकांश स्टार्टअप्स द्वारा की गई छंटनियों के पीछे का मकसद ‘लागत में कटौती’ करते हुए बतौर कंपनी ‘लाभदायक’ बनने का था।
जानकार मानते हैं कि वास्तविक आँकड़े इससे भी अधिक जा सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई स्टार्टअप्स द्वारा की गई छंटनियों का आधिकारिक रूप से ऐलान तक नहीं हुआ और चुपचाप कर्मचारियों की संख्या को कम कर दिया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर 2023 की ही बात करें तो इस साल 49 स्टार्टअप्स अब तक लगभग 13,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं। जबकि पिछले साल लगभग 51 स्टार्टअप्स द्वारा छंटनी किए जाने की बात सामने आई है।
Indian Startups Layoffs Over 30000 Employees?
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि तमाम स्टार्टअप ऐसे भी हैं जिन्होंने सिर्फ एक नहीं बल्कि कई दौरों में छंटनियाँ की हैं। इन स्टार्टअप्स की लिस्ट में Dunzo, Byju’s, Cuemath जैसे कुछ दिग्गज नाम भी शामिल हैं।
अभी कुछ ही दिनों पहले भारत के एडटेक यूनिकॉर्न BYJU’S द्वारा एक बार फिर 4,000 से 5,000 कर्मचारियों को निकाले जाने की खबर सामने आई थी। अटकलें यह हैं कि देश में कंपनी के नए सीईओ ‘अर्जुन मोहन’ लागत में कटौती के चलते ‘पुनर्गठन योजना’ के तहत यह कदम उठा रहे हैं। अगर यह खबर सच साबित होती है तो अकेले BYJU’S द्वारा ही साल 2022 से अब तक निकाले गए कुल कर्मचारियों की संख्या 10,000 तक पहुँच जाएगी।
बहुत से स्टार्टअप नए निवेश डीलों में आई कमी का हवाला देते हुए, लागत में कटौती को एकमात्र विकल्प के रूप में पेश करते रहे हैं। इसी के चलते, संगठनात्मक बदलाव का नाम देते हुए, व्यापक रूप से छंटनियाँ की जा रही हैं।
ये आँकड़े तो सिर्फ स्टार्टअप्स के हैं। वहीं अगर बड़ी टेक दिग्गज या आईटी कंपनियों की बात करें तो Accenture, Xiaomi, Google, IBM, Salesforce, SAP जैसे नाम भी हज़ारों की संख्या में लोगों को नौकरी से निकाल चुके हैं।