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महिला आरक्षण बिल: ‘सहमति’ के बीच ‘सुधार की गुंजाइश’ के स्वर

Women Reservation Bill (Nari Shakti Vandan Adhiniyam): नए संसद भवन के आगाज के साथ ही ‘महिला आरक्षण बिल’ या ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ सांसदो के साथ-साथ देश की जनता के बीच भी चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कई सालों बाद, देश एक बार फिर ‘महिला सशक्तिकरण’ की दिशा में एक बड़ी मुहिम का गवाह बनता नजर आ रहा है, और ऐसे में अधिकांश स्वर इस कदम के पक्ष में सुनाई पड़ रहे हैं।

शायद यही वजह भी है कि बुधवार यानी 20 सितंबर को एक व्यापक चर्चा के साथ ही यह बिल भारी बहुमत से लोकसभा द्वारा पास कर दिया गया। दिलचस्प रूप से लोकसभा स्पीकर ओम बिरला द्वारा पर्ची से करवाई गई वोटिंग में इस बिल को 454 सांसदो का समर्थन मिला, वहीं 2 सांसदो ने बिल के विरोध में भी वोट किए।

बिल के विरोध में मत करने वालों में दोनों सांसद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के रहे, जिनमें हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी और औरंगाबाद से सांसद इम्तियाज जलील शामिल थे।

अब आज यानी 21 सितंबर को यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा और उम्मीद के मुताबिक इस सदन में भी यह बिल आसानी से बहुमत हासिल कर लेगा। एक बार दोनों सदनों से पारित होने के बाद नियमों के अनुसार, बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा। और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही, यह क़ानून बन जाएगा।

क्या कहता है नारी शक्ति वंदन विधेयक (Women Reservation Bill)?

महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) के साथ लोकसभा, सभी राज्यों की विधानसभाओं और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली तथा पुडुचेरी की विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई यानी 33% आरक्षण (रिजर्वेशन) लागू हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर, इस रिजर्वेशन के चलते लोकसभा की मौजूदा 543 सीटों में से 181 सीटें सिर्फ महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी जाएगीं। जानकारी के लिए बता दें, वर्तमान में लोकसभा में कुल महिला सांसदो की संख्या महज 82 ही है।

लेकिन यह साफ कर दें कि राज्यसभा या राज्यों की विधान परिषदों में इस बिल का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और इन जगहों पर महिलाओं को 33% आरक्षण की सहूलियत नहीं मिलेगी। मतलब साफ़ है, महिला आरक्षण को प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों पर ही लागू किया जा रहा है।

कब से लागू होगा बिल?

एक बार दोनों सदनों में पास होकर, राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद, बिल के प्रावधानों के तहत, इसे नए परिसीमन के बाद ही लागू किया जा सकेगा। असल में आगामी परिसीमन देश में होने वाली नई जनगणना के आँकड़ो पर आधारित होगा, लेकिन देश में साल 2011 के बाद से जनगणना नहीं हो सकी है।

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ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी परिसीमन साल 2025 के बाद हो सकता है। इन परिस्थितियों में यह तो साफ हो जाता है कि यह महिला आरक्षण की व्यवस्था साल 2024 में होने वाले आम चुनावों में तो लागू होती नजर नहीं आने वाली। और कुछ विपक्षी पार्टी इस मुद्दे को उठा भी रही हैं, ताकि प्रावधानों में परिवर्तन करके, इस आरक्षण व्यवस्था को जल्द से जल्द प्रभावी बनाने का काम किया जाए।

महिला आरक्षण बिल के भीतर भी आरक्षण का मामला

इस बिल में आरक्षित सीटों में से भी एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व किए जाने का प्रावधान शामिल है। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कोटे के लिए जितनी सीटें आरक्षित हैं, उन्हीं में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने की बात कही गई है।

लेकिन इसमें ओबीसी आरक्षण का जिक्र नहीं किया गया है। ऐसे में खुद राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना महिला आरक्षण बिल अधूरा है, और इसलिए उन्होंने ओबीसी कोटा को भी इस बिल शामिल करने की माँग की। इतना ही नहीं बल्कि मुख्य विपक्षी दल लगातार इस विधेयक को तत्काल लागू करने की माँग कर रहा है।

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