H-1B Visa Programme Vs Vivek Ramaswamy: अमेरिका में अगले साल यानी 2024 में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनावों को लेकर हलचल तेज हो गई है। हमेशा की तरह एक बार फिर रिपब्लिकन पार्टी की ओर से कई बड़े नाम अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, जिसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक विवेक रामास्वामी का भी नाम शुमार है।
भारतीय मूल का होने की वजह से अमेरिका के साथ ही साथ भारत में भी ‘विवेक रामास्वामी’ के बयानों को लेकर काफी दिलचस्पी दिखाई जा रही है। दरअसल भारत-अमेरिका के रिश्तों के महत्व को देखते हुए, दोनों देशों के लोगों के लिए ये चुनाव और चुनाव के दावेदारों के विचारों को समझना बेहद अहम हो जाता है।
इसी क्रम में अब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में अपनी दावेदारी पेश कर रहे विवेक रामास्वामी ने ‘H-1B वीजा कार्यक्रम’ को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिसके बाद से ही भारत में रामास्वामी सुर्खियों में बने हुए हैं। उन्होंने मौजूदा लॉटरी आधारित ‘H-1B वीजा’ सिस्टम का विरोध करते हुए, इसको प्रणाली को खत्म करने की वकालत की है।
Vivek Ramaswamy खत्म करेंगे H-1B Visa प्रोग्राम!
विवेक रामास्वामी के अनुसार, अगर साल 2024 में होने जा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वह सत्ता हासिल करने में कामयाब होते हैं तो लॉटरी-आधारित H-1B वीजा प्रणाली को “खत्म” कर देंगे। उन्होंने इस प्रणाली को ‘गिरमिटिया दासता श्रम’ का ही एक स्वरूप बताया, जिसमें किसी व्यक्ति/श्रमिक के सायं कुछ तय वर्षों के लिए बिना वेतन के काम करने का अनुबंध किया जाता है।
अमेरिकी समाचार वेबसाइट Politico के हवाले से, रामास्वामी ने अपने बयान में कहा,
“मौजूदा लॉटरी-आधारित H-1B वीजा प्रणाली, इसमें शामिल सभी लोगों के लिए ही खराब है।”
“यह गिरमिटिया दासता का एक रूप है, जिससे महज उस कंपनी को ही लाभ होता है, जो H-1B वीजा आप्रवासी को प्रायोजित कर रही होती है। मैं इसे ख़त्म कर दूंगा।”
“अमेरिका में चेन-बेस माइग्रेशन को खत्म करने की जरूरत है। जो लोग परिवार के सदस्यों के रूप में आते हैं, वे योग्यता आधारित आप्रवासी नहीं हैं, जो इस देश में कौशल-आधारित योगदान दें सकें।”
इतना ही नहीं बल्कि विवेक रामास्वामी ने आगे कहा कि लॉटरी आधारित H-1B वीजा प्रणाली के बजाए ‘मेरिटोक्रेटिक एंट्री’ सिस्टम को अपनाए जाने की जरूरत है।
मेरिटोक्रेटिक एंट्री आधारित H-1B Visa प्रणाली
आप शायद सोच रहे हों कि विवेक रामास्वामी द्वारा बोले गए ‘मेरिटोक्रेटिक एंट्री’ का मतलब क्या है? रामास्वामी द्वारा दिए गए ‘मेरिटोक्रेटिक एंट्री’ सुझाव का आशय ‘योग्यता के आधार पर H-1B वीजा आवेदन प्रक्रिया को अपनाने से है। मतलब साफ है, रामास्वामी अब इस प्रणाली में ‘लॉटरी’ के बजाए ‘योग्यता’ को वरीयता देना चाहते हैं।
क्या है H-1B वीजा
आगे की चीजें समझने से पहले आइए पहले जानते हैं कि आखिर H-1B वीजा होता क्या है? असल में इसे एक एक गैर-प्रवासी वीजा (नॉन-इमिग्रेंट वीजा) की तर्ज पर देखा जा सकता है, जिसका इस्तेमाल अमेरिकी कंपनियाँ बाहरी देशों से कुशल कर्मचारियों की नियुक्ति कर, अमेरिका में नौकरी देने के लिए करती हैं।
गौर करने वाली बात ये भी है कि हर साल अमेरिकी कंपनियाँ H-1B वीजा प्रणाली के सहारे कई देशों के हजारों पेशेवरों को नौकरी पर रखती हैं, और एक अनुमान के मुताबिक, फिलहाल अमेरिका में लगभग तीन-चौथाई H-1B वीजा धारक पेशेवर, भारतीय ही हैं। अमेरिका द्वारा हर साल जारी किए जाने वाले H-1B वीजा का आँकड़ा लगभग 65,000 के क़रीब बताया जाता है।
उदाहरण के रूप में समझाने का प्रयास करें तो आपने शायद देखा हो कि TCS, Infosys जैसी कंपनियों में काम करने वाले कई लोग भारत से अमेरिका भेजे जाते हैं, वह भी H-1B वीजा के सहारे ही ऐसा कर पाते हैं। यह सामान्यतः 3 साल के लिए जारी किया जाता है, जिसे अगले 3 साल के लिए नवीनीकृत (रिन्यू) भी किया जा सकता है।
खुद 29 बार H-1B वीजा का लाभ उठा चुके हैं विवेक रामास्वामी
दिलचस्प ये है कि वर्तमान समय में H-1B वीजा प्रणाली का विरोध कर रहे विवेक रामास्वामी खुद लगभग 29 बार इसका इस्तेमाल कर चुके हैं। आप सोच रहे होंगे कैसे? असल में साल 2018 से 2023 के बीच रामास्वामी की एक फार्मास्यूटिकल कंपनी – रोइवेंट साइंसेज (Roivant Sciences) के लिए कुशल पेशेवरों की नियुक्त हेतु H-1B वीजा आधारित 29 आवेदन मंज़ूर किए गए थे। वैसे पिछले ही साल रामास्वामी इस कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा दे चुके हैं।