संपादक, न्यूज़NORTH
One Nation One Election & One Voter List?: मौजूदा समय में देश के भीतर ‘एक देश, एक चुनाव’ का मुद्दा काफी चर्चा में बना हुआ है। वर्तमान केंद्र सरकार की कोशिश है कि भारत में एक साथ लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव करवाए जाने की कवायद शुरू की जाए।
एक देश, एक चुनाव
यह विषय हाल में इसलिए भी अधिक चर्चा में है क्योंकि संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की दिशा में अपनी गंभीरता को दर्शाते हुए, हाल में सरकार ने एक समिति भी नियुक्त कर दी है। इस समिति की अध्यक्षता देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं।
अटकलें यह भी हैं कि संसद के आगामी विशेष सत्र में ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए सरकार प्रयास कर सकती है, जिसके लिए आवश्यक कानूनी या संवैधानिक संशोधन हेतु भी कोशिशें की जा सकती हैं। लेकिन ‘एक देश-एक चुनाव’ को लेकर हो रही बातचीत के बीच अब केंद्र सरकार ने ‘एक देश-एक वोटर लिस्ट’ की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।
एक देश, एक वोटर लिस्ट
जी हाँ! ‘एक देश-एक चुनाव’ पर विचार और सुझाव देने के मकसद के साथ बनाई गई ‘कोविंद कमेटी’ साथ ही ‘एक देश, एक वोटर लिस्ट’ के तरीकों को लेकर भी अपनी राय व तमाम सुझाव देती नज़र आएगी।
असल में केंद्र सरकार की मंशा लोकसभा, विधानसभा से लेकर स्थानीय निकाय तक के सभी चुनावों के लिए देश भर की एक ही मतदाता सूची (वोटर लिस्ट) तैयार करने से संबंधित है। जाहिर है संवैधानिक प्रक्रिया के तहत केंद्र सरकार इस मामले में राज्यों की भी सहमति हासिल करने की योजना बना रही होगी।
One Nation One Election & One Voter List?: अभी क्या है प्रक्रिया
मौजूदा प्रक्रिया के तहत फिलहाल लोकसभा और विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग संभलता है, वहीं नगर निगम, नगर पालिका परिषद व ग्राम पंचायत जैसे स्थानीय निकाय चुनावों की ज़िम्मा राज्य चुनाव आयोग के पास होता है। ऐसे में संविधान ने दोनों ही निर्वाचन आयोगों को अपनी-अपनी मतदाता सूची तैयार करने के अधिकार दिए हुए हैं।
वैसे सामान्यतः राज्य निर्वाचन आयोग अपने स्तर पर वार्ड आदि की पहचान करते हुए और अपना डेटा अपडेट करने के लिए, भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची को ही बतौर ड्राफ्ट उपयोग करता है। और इसी को अपडेट करने के बाद अंतिम सूची तैयार करता है। जानकारों के मुताबिक, वर्तमान समय में संविधान के अनुच्छेद 325 के अनुसार, केंद्र सरकार के पास देश भर में एक वोटर लिस्ट को लागू करने का अधिकार नहीं है।
एक देश, एक चुनाव: विरोध में क्या हैं तर्क?
राजनीति से परे अगर बात ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विरोध करने वालों की करें तो उसमें एक तर्क सबसे प्रमुखता से दिया जाता है। कई लोगों का यह मत रहा है कि केंद्र में सरकार के लिए होने वाले चुनाव या ‘आम चुनाव’ के ढाई साल बाद एक साथ देश के सभी राज्यों में चुनाव करवाए जाने चाहिए। ताकि जनता केंद्र में बतौर सरकार किसी पार्टी के कामों आदि को ध्यान में रखते हुए, राज्य स्तर पर उनके क़िस्मत का फैसला कर सकें।