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विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में भारतीय कंपनियों की ‘डायरेक्ट लिस्टिंग’ पर सरकार कर रही विचार

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Direct Listing Of Indian Companies On Foreign Stock Exchanges? | भारत लगातार वैश्विक अर्थव्यवस्था के पैमाने पर अपनी स्थिति को व्यापक बनाने के प्रयास कर रहा है। इन्हीं प्रयासों के क्रम में अब जल्द ही आप भारतीय कंपनियों को ‘लंदन स्टॉक एक्सचेंज’ जैसे विदेशी शेयर बाजारों में सीधे सूचीबद्ध होते देख सकेंगें।

जी हाँ! वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, भारत सरकार स्थानीय कंपनियों को विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों पर डायरेक्ट सूचीबद्ध होने की अनुमति देने को लेकर फिर से विचार कर रही है। दिलचस्प ये है कि सरकार पहले भी इस दिशा में प्रयास कर चुकी है, लेकिन तब तमाम चिंताओं और विरोध के चलते इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था।

लेकिन कई जानकारों का कहना है कि मौजूदा आर्थिक हालातों को देखते हुए, अगर विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में भारतीय कंपनियों की ‘डायरेक्ट लिस्टिंग’ को अनुमति मिल जाती है तो यह भारतीय स्टार्टअप के लिए विदेशी पूंजी बाजारों तक पहुंचने का एक बड़ा अवसर साबित होगा।

क्या है मौजूदा नियम?

अगर भारत में मौजूदा नियमों की बात करें तो फिलहाल घरेलू कंपनियों को विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों पर सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति नहीं है। वर्तमान में कंपनियाँ अप्रत्यक्ष रूप से डिपॉजिटरी रसीद आदि के तहत ऐसा कर सकती हैं।

अभी की स्थिति के अनुसार फाइनेंशियल सर्विसेज, कंज्यूमर कंपनियां, ऊर्जा और मैटेरियल ऑपरेटर्स जैसे क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों का भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में काफी बोलबाला है। लेकिन तमाम दिग्गजों का अनुमान रहा है कि आने वाले दो दशकों में भारत समेत कई अन्य देशों के स्टॉक एक्सचेंजों के सूचकांक भारी वृद्धि के गवाह बन सकते हैं।

पहले ही शुरू हुए थे प्रयास

अगर इस पहल की शुरुआत पर जाएँ तो इसकी कोशिशें तीन साल पहले से ही शुरू हो गई थी। लेकिन टैक्स से लेकर विदेशों में सूचीबद्ध होने वाली घरेलू कंपनियों के लिए कम नियामक निरीक्षण जैसे मुद्दों को लेकर इस पहल को विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके चलते इस विषय को उस वक्त ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

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लेकिन हाल में G-20 की बैठक के लिए भारत आए ब्रिटने के वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने सोमवार को दिए गए अपने बयान में कहा कि भारतीय कंपनियों को सीधे लंदन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग की अनुमति देने पर विचार किया जाएगा। इससे तमाम कंपनियों व स्टार्टअप्स को दक्षिण एशियाई देशों में विकास के लिए विदेशी पूंजी हासिल करने के लिहाज से एक बड़ी मदद मिलेगी।

आपको बता दें, विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में भारत के लिहाज से ‘न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज’ और ‘नैस्डैक’ के बाद ‘लंदन स्टॉक एक्सचेंज’ को भी काफी अहम माना जाता है। और एक बाद आधिकारिक रूप से रास्ता साफ होने के बाद देश में कई स्टार्टअप्स इसका लाभ उठाने की ओर रुझान कर सकते हैं।

हालांकि यह साफ कर दें कि द्विपक्षिय वार्ता के दौरान भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और ब्रिटने के वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने इस मामले में किसी तरह की कोई समय सीमा तय नहीं की है।

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