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Chandrayaan-3 Landing: चाँद पर पहुँचा भारत, चंद्रयान-3 ने की सफल लैंडिंग

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Chandrayaan-3 Soft Landing LIVE: आखिरकार! भारत ने एक नया कीर्तिमान गढ़ते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र में आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। आज शाम सटीक 6:04 बजे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अपने ‘मून मिशन’ यानी “चंद्रयान-3” (Chandrayaan-3) पर के सबसे अहम पड़ाव को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। जी हाँ! अब भारत ने अधिकारिक रूप से चाँद की सतह पर कदम रख दिया है।

तय योजना के तहत अब से कुछ ही मिनट पहले अपने अंतरिक्ष यात्रा के सबसे अहम पड़ाव यानी चंद्रमा के सुदूर दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक लैंडिंग के साथ ही इस पल हो इतिहास के सुनहरे पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज कर दिया।

इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी – इसरो ISRO का ये मिशन न केवल चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर पहली नियंत्रित सॉफ्ट लैंडिंग का गवाह बना, बल्कि साथ ही मानव इतिहास में पहली बार कोई चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुँचनें में सक्षम हो सका है।

पिछले पूर्ववर्ती मिशन ‘चंद्रयान-2’ में दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद दूसरी बार चंद्रमा पर पहुंचने की कोशिश करने वाला “विक्रम लैंडर” (Vikram Lander) इस बार पूरी तरह से सफल रहा है।

अब मिशन के अगले चरण के तहत चाँद की सतह का शोध व अन्वेषण करने के लिए लैंडर से ‘प्रज्ञान’ रोवर (Pragyaan Rover) चंद्रमा की सतह पर उतारेगा।

यह मुख्य रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जमी हुई पानी की बर्फ संबंधित खोज करने आदि पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि इन खोजों/रिसर्च के सहारे ही भविष्य में मानवयुक्त चंद्रमा मिशनों या वहाँ मानव ठिकानों के निर्माण की योजना बनाई जा सकती है।

आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि साल 2008 में चंद्रयान-1 ही था जिसने ऑर्बिटर पर नासा के एक उपकरण के जरिए सबसे पहले चंद्रमा पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि की थी।

Chandrayaan 3 Landing: कैसे हुई लैंडिंग

इसरो ने बेहद कुशलता से इस लैंडिंग को अंजाम दिया है। लैंडर ने ALS (ऑटोमैटिक लैंडिंग सिस्टम) का इस्तेमाल करते हुए स्वचालित लैंडिंग करने के लिए पूरी तरह से अपने ऑन-बोर्ड कंप्यूटर पर भरोसा जताया।

इसके बाद अब वैज्ञानिकों के अनुसार, जल्द ही लैंडर सतह पर रोवर को छोड़ देगा, जिसके बाद रोवर 1 सेमी/सेकंड की रफ्तार से चाँद की सतह पर अपनी खोज शुरू करेगा।

यह 1 चंद्र दिवस ( लगभग पृथ्वी के 14 दिन) के अपने अपेक्षित जीवनचक्र के दौरान कुल तौर पर लगभग 500 मीटर की दूरी तय करेगा। इसरो की मानें तो चंद्र रात्रि समाप्त होने तक लैंडर और रोवर कॉम्बो फिर से सक्रिय होने की संभावना है, वैसे ये मिशन का कोई ज़रूरी हिस्सा नहीं है।

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तमाम लोगों ने दी बधाई! 

चंद्रयान-3 की इस सफलता पर इसरो समेत देश भर को बधाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा

“कभी कहा जाता था चंदा मामा बहुत दूर के! लेकिन अब वो दिन भी आएगा जब बच्चे कहेंगे, चंदा मामा बस एक टूर के हैं!”

चंद्रयान 3 का सफर

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी, ISRO ने अपने मून मिशन, चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया था, जिसके कुछ दिनों बाद तक यह पृथ्वी की कक्षा के चक्कर लगा रहा था।

इसके बाद लगभग 5 अगस्त को लूनर ऑर्बिट इजेक्शन (LOI) के माध्यम से चंद्रमा की कक्षा (ऑर्बिट) की ओर बाधा और मैन्युवर का इस्तेमाल करते हुए, ऑर्बिट बदले व चक्कर लगाता रहा। अपने अगले चरण में 16 अगस्त को ही चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में अपना पांचवां मैन्युवर पूरा किया और कुछ घंटो बाद लैंडर ‘विक्रम’ अंतरिक्ष यान से हो गया।

इसके बाद दो चरणों में डी-बूस्टिंग की प्रक्रिया पूरी करते हुए, लैंडर को चंद्रमा की सतह से अधिक से अधिक नज़दीक लाने की कोशिश की गई। और आज यानी 23 अगस्त को मिशन के सबसे अहम पड़ाव को पूरा करते हुए  लैंडर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड हो गया।

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