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Twitter पर लगा ₹50 लाख का जुर्माना, केंद्र सरकार के खिलाफ याचिका हुई खारिच, जानें पूरा मामला?

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Twitter India Fined Rs 50 Lakh: भारत में ट्विटर (Twitter) और केंद्र सरकार के बीच टकराव कोई नई बात नहीं है, साल 2020 में किसान आंदोलन के दौरान हमें इसकी एक स्पष्ट तस्वीर देखनें को मिली थी। लेकिन इस मोर्चे पर अब माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को एक बड़ा झटका लगा है।

असल में केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ट्विटर को अपने प्लेटफॉर्म से कुछ कंटेंट हटाने और ब्लॉक करने का आदेश दिया गया था। लेकिन कंपनी ने इस आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसको आज (30 जून) को अदालत ने खारिच कर दिया।

इतना ही नहीं बल्कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्विटर को फटकार लगाते हुए, कंपनी पर ₹50 लाख का जुर्माना भी लगाया है, और जुर्माने की राशि को 45 दिनों के भीतर कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करने के निर्देश भी दिए हैं।

Twitter India Fined Rs 50 Lakh: क्या है पूरा मामला?

असल में यह मामला साल 2021 और 2022 से जुड़ा हुआ है। साल 2021 की शुरुआत में केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन और कोविड महामारी से संबंधित कुछ ट्वीट्स को हटाने और अकाउंट्स को ब्लॉक करने के आदेश दिए थे। लेकिन कंपनी ने इस पर कोई कार्यवाई नहीं की।

इसके साथ बीते साल 2022 में केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय द्वारा ट्विटर को इस पर एक नोटिस भेजा गया था, जिसमें सरकार के आदेश की अनदेखी करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावन भी दी गई थी। इसके बाद कंपनी ने केंद्र सरकार के इस आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए, इसके खिलाफ एक याचिका दायर की थी।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की एकल बेंच ने कंपनी की अपील को आधारहीन बताते हुए, इसे खारिच कर दिया और कहा कि सरकार के पास कानूनी आधार पर संबंधित आदेश जारी करने की शक्ति है।

आपको बता दें, सरकार के पास सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट), 2000 की धारा 69ए के तहत देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो सकने वाली किसी भी प्रकार की सोशल मीडिया सामग्री को हटाने या ब्लॉक करने का अधिकार है।

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दिलचस्प रूप से कंपनी पर जुर्माना लगाते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्विटर कोई ‘साधारण किसान’ या ‘कानून से अपरिचित कोई सामान्य व्यक्ति’ नहीं, बल्कि एक अरबपति कंपनी है।

बताया जा रहा है कि सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से यह भी तर्क दिए गए कि बतौर विदेशी कंपनी, ट्विटर द्वारा भारतीय संविधान में वर्णित अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 के तहत ‘अभिव्यक्ति’ व ‘व्यक्तिगत’ स्वतंत्रता का दावा किया जाना अनुचित है।

क्या कहते हैं पिछले आँकड़े?

इस बीच आँकड़ो पर नजर डालें तो ट्विटर द्वारा जारी ‘वैश्विक पार्दर्शिता रिपोर्ट -2022′ के अनुसार, जनवरी 2022 से लेकर जून 2022 के बीच जिन देशों की सरकारों ने ट्वीट्स हटाने व अकाउंट्स ब्लॉक करने संबंधित सबसे अधिक कानूनी अनुरोध किए, उनमें भारत चौथे स्थान पर था।

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