YouTube Lowers Eligibility Requirements for Monetization: इंटरनेट के इस दौर में यूट्यूब (YouTube) को भी लोग एक बेहतर ‘करियर विकल्प’ के रूप में मान्यता देने लगे हैं। तमाम कंटेंट क्रिएटर्स यूट्यूब के जरिए व्यापक लोकप्रियता और भारी पैसा, दोनों कमा रहे हैं।
ऐसे में आज के समय बहुत से लोग, यूट्यूब में बतौर क्रिएटर जुड़कर, इसे अपनी कमाई का एक जरिया बना सकने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन वीडियो के जरिए कमाई कर सकनें के लिए यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम (YouTube Partner Program) से जुड़ना पड़ता है, जिसके लिए कंपनी की कुछ शर्तें रहीं हैं, जो शुरुआती क्रीएटर्स के लिए कमाई की प्रक्रिया को थोड़ा मुश्किल बना देती हैं।
लेकिन अब कंपनी ने शुरुआती व छोटे क्रीएटर्स का भी ध्यान रखत हुए यूट्यूब मोनेटाइजेशन के नियमों को आसान बनाने का काम किया है। जी हाँ! अब आप प्लेटफॉर्म पर ‘कम सब्सक्राइबर्स’ और ‘वॉच टाइम’ के साथ भी ‘मोनेटाइजेशन’ के लिए पात्र हो सकते हैं।
YouTube New Monetization Criteria: क्या कहते हैं नए नियम?
‘यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम’ (YPP) की पात्रता (एलिजिबिलिटी) संबंधित शर्तों में बड़ी रियायत दी गई है। कंपनी के मोनेटाइजेशन प्रोग्राम को ज्वाइन कर सकने के लिए अब क्रीएटर के चैनल पर 500 सब्सक्राइबर्स और एक साल में 3,000 घंटों का ‘वॉच टाइम’ या 90 दिनों में 30 लाख शॉर्ट्स व्यू की ही जरूरत होगी।
बता दें, इसके पहले यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम में शामिल होकर कमाई करने के लिए चैनल पर 1,000 सब्सक्राइबर्स और एक साल में 4,000 घंटो का ‘वॉच टाइम’ या 90 दिनों के भीतर 1 करोड़ शॉर्ट्स व्यू जैसी शर्तों को पूरा करना पड़ता था।
लेकिन अब नई और पहले से आसान हो चुकी इस पात्रता शर्तों को पूरा करने वाले क्रिएटर्स यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम (YPP) के लिए आवेदन कर सकेंगें। और एक बार इसमें शामिल होने के बाद, छोटे क्रिएटर्स अपने वीडियो पर आने वाले विज्ञापनों से पैसे कमाने के साथ ही साथ, पेड चैट, टिपिंग, चैनल मेंबरशिप और शॉपिंग जैसे अन्य कमाई के विकल्पों का भी लाभ उठा पाएँगे।
YouTube Lowers Eligibility Requirements: क्या है कंपनी की मंशा?
असल में आज के दौर में वीडियो क्रीएटर्स के पास कई ऐसे विकल्प मौजूद हैं जहाँ वो आसानी से कमाई कर सकते हैं। ऐसे में वीडियो शेयरिंग ऐप्स अपनी मोनेटाइजेशन शर्तों को आसान बनाते हुए, अधिक से अधिक क्रीएटर्स को प्लेटफॉर्म से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसे में साफ तौर पर पहले के मुकाबले बजरम में यूट्यूब के लिए प्रतिस्पर्धा आसान नहीं रह गई है, और क्रीएटर्स को अपने प्लेटफॉर्म से जोड़े रखना, हमेशा से ही सभी कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है।
किन-किन देशों में उपलब्ध हुई सुविधा?
वैसे गूगल के स्वामित्व वाली यूट्यूब ने अपने ‘पार्टनर प्रोग्राम’ पॉलिसी में किया गया यह बदलाव फिलहाल अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ताइवान और दक्षिण कोरिया में ही लागू किया है। लेकिन जल्द ही भारत समेत उन सभी देशों में ये नए नियम लागू हो जाएँगे, जहाँ ‘यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम’ पहले से उपलब्ध है।
खास ये है कि इस बीच यूट्यूब ने अपने शॉपिंग एफिलिएट पायलट प्रोग्राम का भी विस्तार करते हुए, इस सुविधा को अब ‘यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम’ में शामिल और 20,000 से अधिक सब्सक्राइबर्स वाले क्रिएटर्स के लिए भी उपलब्ध करवा दिया है। इसके तहत क्रीएटर्स अपने वीडियो और शॉर्ट्स में प्रोडक्ट्स को टैग कर सकते हैं और उनकी बिक्री पर कमीशन प्राप्त कर सकते हैं।