Tesla Cars Manufacturing In India: भारत में एक बार फिर ईलॉन मस्क (Elon Musk) के नेतृत्व वाली इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला (Tesla) की एंट्री को लेकर खबरों का बाजार गर्म हो चुका है। नई खबर के मुताबिक, कंपनी द्वारा देश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने की दिशा में अब सरकार का एक सकारात्मक रूख सामने आया है।
आपको शायद याद होगा कि कुछ ही हफ्तों पहले देश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने से जुड़ी चर्चा के संबंध में Tesla के अधिकारियों ने भारत का दौरा किया था। और ऐसा लगता है कि कंपनी के अधिकारियों की यह यात्रा बेकार नहीं गई है, बल्कि संबंधित विषय पर बात कुछ आगे बढ़ती नजर आ रही है।
हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि भारत सरकार ने टेस्ला (Tesla) को एक निश्चित समय सीमा के भीतर एक रोडमैप प्रस्तुत करने के लिए कहा है, जिसमें इस इलेक्ट्रिक वाहन दिग्गज कंपनी को देश में अपने ‘मैन्युफैक्चरिंग प्लांट’ और ‘स्वदेशी सप्लाई चेन’ स्थापित करने की योजनाओं के बारे में विस्तृत रूप से बताना होगा।
मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि टेस्ला को देश के भीतर अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने और घरेलू विक्रेता आधार विकसित करने से संबंधित एक ‘प्रोजेक्ट ब्लू-प्रिंट’ सरकार के सामने पेश करना होगा।
कंपनी द्वारा पेश की जा सकने वाली इस रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद ही सरकार यह तय करेगी कि इस अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता को देश में किस तरह की रियायतें प्रदान की जा सकती हैं।
3 से 6 महीनों में Tesla भारत सरकार को सौंप सकती है अपना जवाब
रिपोर्ट में बताया गया है कि टेस्ला की ओर से यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है, और कंपनी आने वाले तीन से छह महीनों में देश के भीतर एक स्थानीय विक्रेता आधार बनाने की अपनी योजनाओं व संबंधित रूपरेखाओं तथा समयसीमाओं समेत तमाम विवरण वाली एक रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है।
Tesla Cars Manufacturing In India: कहाँ अटका है मामला?
यह तो हम सभी जानते हैं कि खुद टेस्ला (Tesla) के मालिक ईलॉन मस्क कुछ साल पहले ही भारतीय बाजार में संभावित प्रवेश को लेकर उत्साह जाहिर कर चुके हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से कंपनी और भारत सरकार के बीच ‘आयात शुल्क’ में रियायतों को लेकर असहमति के चलते मामला अटका पड़ा है।
एक ओर जहाँ मस्क लगातार भारी आयात शुल्क का हवाला देकर भारतीय बाजार में प्रवेश को टाल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार पहले ही यह साफ कर चुकी है कि रियायतें के बारे में तभी सोचा जा सकता है अगर कंपनी देश में ही अपने इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करे और घरेलू संयंत्र स्थापित किए जाएँ।
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार कंपनी को इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े आवश्यक घटकों के आयात पर रियायतें और देश में अपना घरेलू विक्रेता आधार स्थापित करने को लेकर पर्याप्त समय देने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन पहले टेस्ला कम से कम एक स्पष्ट अवधि के बारे में बताए, कि आखिर कब तक इन चीजों को पूरा कर लिया जा सकता है? ऐसा इसलिए ताकि सरकार को भी एक अंदाजा रहे कि आखिर कब तक कंपनी को रियायतें देनी पड़ सकती हैं और कब उसे समाप्त किया जा सकेगा।
दिलचस्प रूप से टेस्ला द्वारा समय-सीमा की पुष्टि करने के बाद, सरकार ईवी दिग्गज के लिए अपनी प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम में भी संशोधन कर सकती है। ऐसा पहले भी टेलीकॉम, स्मार्टफोन समेत आईटी हार्डवेयर उद्योगों से जुड़ी कंपनियों के लिए किया जा चुका आही।
समय के साथ टेस्ला को भारत में ही ईवी कम्पोनेंट्स का निर्माण शुरू करना होगा, जिसके लिए उसे अपने वेंडर्स को देश में दुकान स्थापित करने के लिए भी कहना पड़ सकता है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि टेस्ला के अधिकतर वेंडर्स चीन से हैं और ऐसे में उन्हें भारत में काम शुरू करने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम (JV) शुरू करने की जरूरत होगी।
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