Startup Funding – uFaber: भारतीय एडटेक क्षेत्र समय के साथ काफी व्यापक स्वरूप लेता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह शायद ये है कि यह बाजार सिर्फ चुनिंदा खिलाड़ियों के इर्द-गिर्द नहीं सिमटा हुआ है। देश में तमाम कंपनियाँ व स्टार्टअप्स इस सेगमेंट से जुड़े नए-नए आयामों में संभावनाओं की तलाश और निवेशकों को आकर्षित करते नजर आते हैं।
इसी क्रम में अब एडटेक स्टार्टअप uFaber ने भी अपने सीरीज-ए फंडिंग राउंड के तहत ₹25 करोड़ का निवेश हासिल किया है। कंपनी को यह निवेश मास्टरमाइंड जेपीआईएन कैपिटल पार्टनर्स (Mastermind JPIN Capital Partners) और ग्रे मैटर्स कैपिटल (Gray Matters Capital) से मिला है।
इस नए निवेश के साथ कंपनी अधिक लोगों तक अपनी पहुंच का विस्तार करने और अपनी पेशकशों को व्यापक बनाने के प्रयास के तहत बेहतर तकनीक और एक बड़ी टीम बनाने की कोशिशें करेगी।
बताते चलें कि इसके पहले बतौर निवेश इस एडटेक स्टार्टअप ने कुछ एंजल निवेशकों से ₹2.5 करोड़ प्राप्त किए थे।
uFaber की शुरुआत साल 2015 में रोहित जैन (Rohit Jain) और अनिरुद्ध स्वर्णकार (Anirudh Swarnkar) ने साथ मिलकर की थी।
यह फर्म अपने छात्रों को इंग्लिश कम्यूनिकेशन और सॉफ्ट कौशल, इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम (IELTS), संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) व अन्य चीजों के लिए प्रशिक्षण प्रोग्राम की पेशकश करता है।
दिलचस्प रूप से इसके प्लेटफॉर्म पर 3 साल से लेकर तमाम आयु वर्ग के छात्रों से लेकर बेहतरीन और विस्तृत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम मौजूद हैं, जिनमें Fluent Life, eMaester, IELTS Ninja, UPSC Pathshala और Real School आदि शामिल हैं।
यह ऑनलाइन एजुकेशन स्टार्टअप फिलहाल आगामी साल 2024 तक 5,000 से अधिक प्रशिक्षकों और एक लाख से अधिक छात्रों को प्लेटफॉर्म से जोड़ने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है।
इस नए निवेश को लेकर कंपनी के सह-संस्थापक, रोहित जैन के कहा कि, प्राप्त राशि का इस्तेमाल विकास के अगले चरण को बढ़ावा देने और प्रशिक्षण अनुभव को बेहतर बनाने जैसे कामों के लिए भी किया जाएगा।
वहीं ग्रे मैटर्स कैपिटल (GMC) की प्रेसिडेंट और सीईओ स्मिता सरकार (Smita Sircar) ने कहा;
“uFaber द्वारा फोकस किए जा रहे क्षेत्रों और इसका बिजनेस मॉडल हमारे “फाइंडिंग पर्पज विथ 100 मिलियन वोमेन” के मिशन का भी पूरक साबित हो सकता है।”
“यह कंपनी जिन शिक्षकों को प्रशिक्षित करती है, उन्हें अधिकांश महिलाएं हैं, जो 100 से अधिक छोटे शहरों में घर से काम कर सकने की सहूलियत का लाभ उठाते हुए, युवाओं को सस्ती कीमत और बेहतर प्रभावी तौर पर ऑनलाइन मोड के जरिए अंग्रेजी सिखाने जैसे काम कर रही हैं।”
“यह इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत को भविष्य में वैश्विक वर्कफोर्स के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में कम संसाधनों से लैस समुदायों को भी आगे लाने के लिए ‘स्पोकन इंग्लिश’ एक महत्वपूर्ण बाजार बना रहेगा।”