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Koo Layoffs: ट्विटर के भारतीय विकल्प Koo ने 30% कर्मचारियों को नौकरी से निकाला

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Koo layoffs 30% staff: छंटनियों का दौर अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक ओर जहाँ Meta, Amazon, Disney जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियों ने हाल के दिनों में फिर एक बार कर्मचारियों की संख्यम में कटौती की है, वहीं भारतीय टेक स्टार्टअप्स भी इसमें पीछे नहीं हैं। और अब इस लिस्ट में भारत में ट्विटर के प्रतिद्वंदी के रूप में उभरने वाले Koo का भी नाम शुमार हो गया है।

जी हाँ! देसी माइक्रोब्लॉगिंग ऐप, Koo ने हाल के महीनों में अपने लगभग एक तिहाई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इस कदम के पीछे फंडिंग ना मिलने के चलते पैसों की कमी और कंपनी को हो रहे घाटे को प्रमुख वजह बताया जा रहा है।

असल में मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) जैसी दिग्गज नामों को अपने निवेशकों की सूची में शामिल रखने वाली इस कंपनी के एक प्रवक्ता ने Bloomberg के एक सवाल के जवाब में इस बात की जानकारी दी है।

Koo Layoffs 30% Employees 

यह बताया गया है कि 3 साल पुराने इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने अपने 30% (करीब 260) कर्मचारियों की छंटनी की है। कंपनी के अनुसार, वैश्विक आर्थिक हालातों को देखते हुए, फिलहाल विस्तार या विकास के बजाए ‘दक्षता’ (एफिशिएंसी) हासिल करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

सामने आई खबरों के अनुसार, कंपनी के कहा है कि इसने निकाले गए प्रभावित कर्मचारियों को उचित मुआवजा पैकेज, विस्तारित स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के साथ ही, उन्हें नई नौकरियाँ तलाशने में मदद करने जैसी सुविधाओं की पेशकश की है।

दिलचस्प ये है कि कंपनी ने पिछले साल जनवरी में लगभग $10 मिलियन और फिर नवंबर में $6 मिलियन के करीब निवेश हासिल किया था। रिसर्च फर्म Tracxn के आँकड़ो की मानें तो कंपनी Accel और Kalaari Capital ट्जैसे बड़े नामों को भी अपने निवेशकों की सूची में शामिल रखती है, और पिछले साल इसने $273 मिलियन के मूल्यांकन (वैल्यूएशन) पर फंडिंग हासिल की थी।

मौजूदा समय में 60 मिलियन (6 करोड़) से अधिक डाउनलोड के साथ, कंपनी आगामी समय में इस आँकड़े को 100 मिलियन तक ले जाने के प्रयास कर रही है।

Koo Layoffs

साल 2020 में अपनी शुरुआत के समय बेंगलुरु स्थित माइक्रोब्लॉगिंग ऐप Koo को एक बड़ा फायदा तब मिला जब उसी वक्त ट्विटर और भारत सरकार के बीच मानों विवाद जैसी स्थिति बन गई थी, जिसके पीछे किसान आंदोलन आदि जैसे विषयों ने भी एक अहम रोल अदा किया था। उस समय कई सरकारी अधिकारी, क्रिकेटर्स, बॉलीवुड स्टार्स, राजनेताओं और अन्य तमाम हस्तियों ने ट्विटर का विरोध करते हुए इस देसी विकल्प को अपनाया था।

लेकिन जैसे-जैसे ट्विटर बनाम केंद्र सरकार विवाद ठंडे बस्ते में जाता गया, वैसे ही भारत में वापस लोगों ने ट्विटर का रुख़ करना किया। इसकी कई वजहें भी रहीं। असल में Twitter में दुनिया भर के विषयों पर बातचीत करने वाले कई नामी लोग मौजूद है।

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साथ ही पारंपरिक रूप से कई वायरल कंटेंट ट्विटर से ही सुर्खियाँ बटोरने की शुरुआत करते हैं। ऐसे में लोग चाह कर भी ट्विटर को अनदेखा नहीं कर पा रहे हैं।

इस बीच Koo ने सितंबर 2022 में अपने प्लेटफॉर्म पर मुद्रीकरण (मोनेटाइजेशन) संबंधित प्रयोग करने भी शुरू कर दिए थे। और सबको हैरान करते हुए, छह महीने के भीतर ही कंपनी ने दावा किया था कि यह भारतीय सोशल मीडिया कंपनियों और प्रत्यक्ष वैश्विक प्रतिद्वंदियो की तुलना में दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता (DAU) के आधार पर उच्चतम प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व (ARPU) दर्ज कर रहा है।

पर इन सब के बाद भी, फिलहाल ये कहा जा सकता है कि Koo फिर एक बार ऐसे मौक़े की तलाश में है जब वह खुद को एक बेहतर विकल्प के रूप में पेश करते हुए, वापस से भारी संख्या में उपयोगकर्ताओं को आकर्षित कर सके।

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