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Indian Space Policy 2023: भारत में जारी की नई ‘स्पेस पॉलिसी’, ISRO अब करेगा ये काम?

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Indian Space Policy 2023: एक लम्बें इंतजार और तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए, आखिरकार विभिन्न हितधारकों से परामर्श और फीडबैक लेने के बाद देश में ‘अंतरिक्ष नीति (स्पेस पॉलिसी) 2023’ को पेश कर दिया गया है। इस कदम के साथ ही भारत के ‘स्पेस ईकोसिस्टम’ में अब नए दिशानिर्देश और नियम लागू कर दिए गए हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो या ISRO) ने गुरुवार को आधिकारिक रूप से अंतरिक्ष नीति 2023 (स्पेस पॉलिसी 2023) का अंतिम संस्करण प्रकाशित किया। बताते चलें, लगभग दो हफ्ते पहले ही अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री, जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी थी कि मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने इस नई नीति को मंजूरी दे दी है।

Space Policy 2023: खास पहलू

देश में अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित यह नीति मुख्य रूप से भारत सरकार द्वारा निर्धारित “अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने” के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। आपको शायद याद ही होगा कि केंद्र सरकार ने साल 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और क्षमताओं के विकास के लिए कुछ सुधारों की बात कही थी। और अब ये नीति उसी दिशा में नियमों का निर्धारण करती नजर आती है।

इस नई पॉलिसी में एक ओर जहाँ औपचारिक रूप से भारत में अंतरिक्ष मिशनों के निजीकरण से जुड़े नियमों को निर्धारित करने का काम किया गया है, वहीं दूसरी ओर इसरो (ISRO) की वाणिज्यिक शाखा -न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Limited या Nsil) और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के संचालन से संबंधित स्पष्ट दिशानिर्देश भी पेश किए गए हैं।

बता दें, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) देश के अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास को बल देने के मकसद के साथ नए समाधानों और सेवाओं को विकसित करने के लिए स्वदेशी अंतरिक्ष तकनीक स्टार्टअप्स सहित निजी खिलाड़ियों के साथ मिलकर काम करता है।

नई पॉलिसी के तहत, IN-SPACe देश में अंतरिक्ष विकास को बढ़ावा देने के लिए निजी खिलाड़ियों के साथ ही साथ शिक्षाविदों, राष्ट्रीय और वैश्विक इंडस्ट्री से जुड़े प्रतिभागियों के साथ भी सहयोग करने का काम करेगा। नीति यह भी परिभाषित करती है कि केंद्र को “अंतरिक्ष वस्तुओं के लिए सुरक्षा और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिशानिर्देश जारी करना चाहिए।”

Space Policy 2023: स्टार्टअप्स की भूमिका

पॉलिसी में स्टार्टअप को अंतरिक्ष ऑब्जेक्ट्स, जमीन-आधारित संपत्तियों और संबंधित सेवाओं – जैसे संचार, रिमोट सेंसिंग, नेविगेशन आदि की की स्थापना और संचालन के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में एंड-टू-एंड गतिविधियां शुरू करने की अनुमति भी प्रदान की गई है। लेकिन स्टार्टअप्स यह तमाम कार्य IN-SPACe द्वारा जारी किए जाने वाले दिशानिर्देशों के अधीन रहते हुए ही कर सकेंगे।

New Indian Space Policy: इसरो की भूमिका

वहीं नई नीति में इसरो (ISRO) की भूमिका का भी जिक्र किया गया है, जिसके तहत इसरो अब मुख्य रूप से नई-नई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों के जुड़े अनुसंधान व विकास (RnD) पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा और अंतरिक्ष को लेकर इंसानों की समझ के विस्टर की कोशिशें करेगा।

इतना ही नहीं बल्कि देश की इस अंतरिक्ष एजेंसी को अब अंतरिक्ष क्षेत्र में संबंधित निजी और सार्वजनिक प्रतिभागियों को अपने रिमोट सेंसिंग उपग्रहों से प्राप्त “फ्री और ओपन” डेटा का एक्सेस प्रदान करना होगा।

नए फ्रेमवर्क के मुताबिक, इसरो अब से अंतरिक्ष प्रणालियों के निर्माण के अलावा राष्ट्रीय और वैश्विक उद्योग व शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर फोकस करती नजर आएगी।

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड की भूमिका

जैसा हमनें आपको पहले ही बताया, इस नई नीति में न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और अंतरिक्ष विभाग की जिम्मेदारियों को परिभाषित करने का काम भी किया गया है। नियमों के अनुसार, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण और निजी व सार्वजनिक दोनों खिलाड़ियों से उत्पादन, अंतरिक्ष संपत्ति की खरीद व लीज आदि के प्रबंधन की जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं।

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वहीं अंतरिक्ष विभाग को अंतरिक्ष नीति के कार्यान्वयन का नेतृत्व करने और यह सुनिश्चित करने का काम दिया गया है कि क्षेत्र से जुड़े विभिन्न हितधारकों के बीच जिम्मेदारियों का सही ढंग से बँटवारा किया जाए।

हम सब जानते हैं कि बीतें कुछ सालों में AgniKul और Skyroot Aerospace जैसे भारतीय स्पेस स्टार्टअप्स ने कई बड़ी कामयाबियाँ अपने नाम दर्ज की हैं और देश के अंतरिक्ष क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों के लिहाज से मौजूद संभावनाओं को उजागर कर सकने की दिशा में, बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।

इतना ही नहीं बल्कि वैश्विक पटल पर भी भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी दावेदारी को पुख्ता कर रहा है। हाल में सरकार द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों की मानें तो बीते आठ सालों में इसरो ने अपने लॉन्च वाहनों के जरिए लगभग 388 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए गए हैं।

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कुछ ही महीनें पहले टेक दिग्गज Microsoft ने स्थानीय स्पेस टेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और उनके साथ काम करने के लिए भी इसरो के साथ भागीदारी का ऐलान किया था।

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