IT Rules Amendment: भारत सरकार ने देश में लागू आईटी नियमों में कुछ बड़े संशोधन किए हैं। लेकिन शायद ये ‘बदलाव’ ही अब एक नए ‘विवाद’ को जन्म देते नजर आ रहे हैं। असल में इन संसोधन को लागू करने के बाद से कुछ बड़े संस्थानों व जानकारों ने इसकी आलोचना शुरू कर दी है।
आपको बता दें, केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने गुरुवार यानी 6 अप्रैल, 2023 को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023 [IT (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Amendment Rules, 2023] संबंधित अधिसूचना जारी की।
आईटी नियम 2021 में किए गए इस नए संसोधन के तहत, देश में अपना संचालन करने वाली सोशल मीडिया व इंटरनेट कंपनियों जैसे गूगल (Google), फेसबुक (Facebook) और ट्विटर (Twitter) आदि को अब सरकार द्वारा अधिसूचित या नियुक्त “तथ्य-जांचकर्ता” (फैक्ट चेकर) द्वारा किसी जानकारी को ‘गलत’ या ‘भ्रामक’ बताए जाने पर, उसको अपने-अपने प्लेटफॉर्मों से तत्काल हटाना पड़ेगा।
और अगर कोई कंपनी उन कंटेंट को हटाने में नाकाम रहती हैं, तो वह ‘सेफ हार्बर इम्यूनिटी’ के तहत मिलने वाले संरक्षण को खो देगी और उसे तय करवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
इस बात की जानकारी खुद इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री, राजीव चंद्रशेखर द्वारा साझा की गई है। उन्होंने कहा कि इस कदम के साथ, सरकार किसी भी प्रकार से ‘मीडिया’ को ‘सेंसर’ करने की कोशिश नहीं कर रही है। सरकार का मक़सद सिर्फ गलत जानकारियों को प्रसारित होने से रोकने का है, जिसके लिए ये तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।
IT Rules Amendment: क्यों है विवाद?
जानकारों के मुताबिक, नए संसोधनों से इतना तो साफ हो जाता है कि अब सीधे तौर पर केंद्र सरकार के पास पूरा अधिकार होगा कि वह तय कर सके कि कौन सी चीज ‘फर्जी’ या ‘भ्रामक’ मानी जाएगी।
ऐसे में ये आशंका जताई जा रही है कि सरकार अपने ख़िलाफ होने वाली आलोचनाओं या नाकामियों से जुड़े तथ्यों को ‘फर्जी’ या ‘भ्रामक’ बताते हुए, सोशल मीडिया आदि जगहों से उसे हटाने के लिए कह सकती है।
Withdraw ‘draconian’ amendments to IT Rules – Editors Guild: एडिटर्स गिल्ड जताया विरोध
इस बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने कहा कि वह आईटी नियमों में किए गए इन ‘सख्त’ संशोधनों को लेकर काफी चिंतित है।
जारी किए गए बयान में एडिटर्स गिल्ड ने कहा;
“सरकार को इन संशोधनों को वापस लेना चाहिए और पहले किए गए वादे के मुताबिक, मीडिया संगठनों व प्रेस निकायों के विषय में परामर्श करना चाहिए।”
एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि नियमों के मुताबिक, अब आईटी मंत्रालय खुद ही एक ‘फ़ैक्ट-चेकिंग यूनिट’ गठित करेगा, जो तय करेगी कि सरकार के “किसी भी व्यवसाय से संबंधित” कोई जानकारी ‘भ्रामक’ या ‘गलत’ है या नहीं?
इतना ही नहीं बल्कि गिल्ड के अनुसार, मंत्रालय ने खुद को यह भी अधिकार दे दिया है कि वह ‘मध्यस्थों’ (जैसे Google, Facebook, Twitter, Jio, Airtel आदि) को इस तरह के कंटेंट होस्ट ना करने के निर्देश जारी कर सके।
इस बीच राज्यसभा के सदस्य व कानून के जानकार, कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने इन संशोधनों पर सवाल उठाते हुए कहा;
“अब क्या सरकार तय करेगी कि क्या फर्जी है और क्या नहीं?”