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NCLAT का आदेश, Google को भरना होगा ₹1337 करोड़ का जुर्माना, लेकिन थोड़ी राहत भी मिली

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Credit: blog.google

NCLAT upholds Google ₹1337 crore fine, but gives partial relief: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा अक्टूबर 2022 में टेक दिग्गज गूगल (Google) पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को अपनाने के आरोपों के चलते लगभग ₹1,337 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसके बाद ही गूगल ने सीसीआई के इस फैसले को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल या NCLAT) में चुनौती दी, जिस पर अब ट्रिब्यूनल ने फैसला सुना दिया है।

जी हाँ! नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने भी एंड्रॉयड बाजार में प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं को अपनाने का दोषी मानते हुए, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए जुर्माने को सही ठहराते हुए, उसे बरकरार रखा है।

इतना ही नहीं बल्कि, चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और सदस्य आलोक श्रीवास्तव वाली NCLAT की दो सदस्यीय पीठ ने गूगल को संबंधित दिशानिर्देशों का पालन करने और जुर्माने की राशि को जमा करने के लिए 30 दिनों का समय दिया है।

जुर्माने के बाद भी, Google को NCLAT से मिली कुछ बड़ी राहतें  

लेकिन दिलचस्प ये है कि NCLAT के फैसले के चलते गूगल (Google) को कुछ मामलों में राहत भी मिली है। असल में शायद आपको याद ही होगा कि सीसीआई (CCI) ने गूगल पर जुर्माना लगाने के साथ ही साथ, कंपनी को अपने बिजनेस मॉडल में कुछ अहम बदलाव करने के भी निर्देश दिए थे।

पर NCLAT ने अब सीसीआई (CCI) द्वारा गूगल (Google) को दिए गए कुछ निर्देशों को रद्द भी कर दिया है, जानकार जिसे गूगल के लिए एक बड़ी बता रहे हैं।

असल में ट्रिब्यूनल ने सीसीआई के 10 में से 4 निर्देशों को रद्द करने का फैसला भी सुनाया है। आइए जानते हैं कुछ अहम पहलू, जिनमें Google को थोड़ी राहत मिलती दिखी है।

ये राहत इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि क्योंकि इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सीसीआई द्वारा गूगल को अपने बिजनेस में बदलाव हेतु दिए गए 10 निर्देशों के संबंध में किसी तरह की कोई राहत देने ने इनकार कर दिया था। इसके बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने ट्रिब्यूनल से तय नियमों के आधार पर सुनवाई करने को कहा था।

इस बीच NCLAT ने ये जरूर कहा कि सीसीआई (CCI) द्वारा की गई जांच और जारी आदेश में किसी भी तरह से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत की अवहेलना नहीं की गई है, और इसलिए गूगल द्वारा इस संबंध में लगाए गए आरोप खारिज कर दिए गए।

दिलचस्प ये है कि जनवरी के अंत में ही Google ने सीसीआई के आदेश को ध्यान में रखते हुए, कुछ बदलाव करने पर सहमति जताई थी। टेक दिग्गज ने स्मार्टफोन बनाने वाले ब्रांड्स को अपने फोनों में प्री-इंस्टॉलेशन के लिए अलग-अलग ऐप्स के लिए अलग-अलग लाइसेंस ले सकने जैसी सहूलियतें देने की बात मानी थी।

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मतलब ये जरूरी नहीं होगा कि अगर स्मार्टफोन ब्रांड सिर्फ चुनिंदा Google ऐप्स को ही फोन में जगह देना चाहती है, तो Google उस पर अन्य ऐप्स को भी प्री-इंस्टॉल करने का दबाव बना सके।

साथ ही कंपनी ने भारतीय एंड्रॉयड उपयोगकर्ता अब खुद अपना डिफॉल्ट सर्च इंजन भी चुन सकने और प्‍ले स्‍टोर पर ऐप्‍स व गेम की खरीदारी के लिए थर्ड पार्टी बिलिंग विकल्‍पों का इस्‍तेमाल करने की भी सुविधा देने की बात कही थी।

ये सब इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि भारत गूगल के लिए एक बड़ा बाजार है। रिसर्च फर्म Counterpoint के मुताबिक, देश में 60 करोड़ स्मार्टफोन में से लगभग 97% स्मार्टफोन एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही चलते हैं। इतना ही नहीं बल्कि गूगल भारत की शीर्ष टेलीकॉम दिग्गज कंपनियों – Jio और Airtel में बतौर निवेशक शामिल भी है।

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