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ई-फार्मेसी कंपनियों को लग सकता है बड़ा झटका, प्रतिबंध लगाने की तैयारी में भारत सरकार?

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E-Pharmacy in India – Latest Update: भारत में ई-कॉमर्स सेक्टर तेज रफ्तार पकड़े हुए है। लेकिन मोबाइल व अन्य क्षेत्रों की तरह ही, दवाओं की भी ऑनलाइन बिक्री को लेकर अब देश में ‘ऑफलाइन या रिटेल फार्मेसियों’ और ‘ऑनलाइन या ई-फार्मेसियों’ के बीच का व्यापारिक संघर्ष एक बड़ा विषय बनता नजर आ रहा है।

एक ओर जहाँ कई ऑफलाइन फार्मेसियाँ, थोक विक्रेता और वितरक ‘ई-फार्मेसियों’ का जोरदार विरोध करते नजर आते हैं, वहीं ई-फार्मेसी कंपनियों के भी अपने तर्क हैं।

लेकिन इन सब के बीच, सामने आई खबरों के अनुसार, सरकार अब ई-फार्मेसी कंपनियों को एक बड़ा झटका दे सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉक्टरों द्वारा लिखे पर्चे को अपलोड करके, ऑनलाइन दवाएं ऑर्डर कर सकने की मौजूदा व्यवस्था पर शायद सरकार रोक लगा सकती है।

सामने ये आया है कि भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ई-फार्मेसी कंपनियों के संबंध में कुछ कड़े नियम पेश कर सकता है, जिसके तहत केंद्र सरकार एक नई अधिसूचना जारी करके, आनलाइन दवाओं की बिक्री आदि को विनियमित या प्रतिबंधित करने पर विचार कर रही है।

असल में News18 की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह बताया गया है कि सरकार ई-फार्मेसियों को दी गई व्यापार संबंधित मंजूरी को लेकर ‘पुनर्विचार’ कर रही है। इसके पीछे कथित रूप से ‘मरीजों व उनकी दवाओं से संबंधित डेटा प्राइवेसी’, ‘बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाओं की बिक्री’ और ‘मनमाने तरीके से कीमतों को तय करना’ आदि वजहें बतार्ई जा रही हैं।।

आपको बता दें, सरकार की ओर से ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने फरवरी में ही Amazon, Flipkart, Tata 1MG समेत लगभग 20 ई-फार्मेसी कंपनियों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के उल्लंघन को लेकर एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था। खबरों के मुताबिक, नोटिस में बिना वैध लाइसेंस के शेड्यूल एच, एच1 और एक्स दवाओं की बिक्री का आरोप लगाया गया था।

E-Pharmacy in India: भविष्य की राह?

पिछले महीनें, बजट सत्र के दौरान ही सरकार ने बताया था कि वह ऑनलाइन दवाओं की बिक्री से जुड़े व्यापार को विनियमित करने के लिए कानून में संशोधन करने की दिशा में काम कर रही है।

असल में नए औषधि, चिकित्सा उपकरण और प्रसाधन सामग्री विधेयक, 2023 के संशोधित मसौदे (ड्राफ्ट) के मुताबिक, दवाओं, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और चिकित्सा उपकरणों की बिक्री से जुड़ी चीजें, संबंधित राज्य सरकारों द्वारा ही विनियमित की जाती रहेंगी। लेकिन इसमें यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को राज्य दवा नियामकों के बजाय, दवा और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण को विनियमित करने का अधिकार मिलना चाहिए।

फिलहाल देश में, दवा और सौंदर्य प्रसाधनों से संबंधित निर्माण गतिविधियों को संबंधित राज्य सरकारें ही विनियमित करने का काम करती हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद, यह अधिकार केंद्र सरकार को मिल जाएगा।

इस विधेयक के ड्राफ्ट पर फिलहाल अंतर-मंत्रालयी परामर्श चल रहा है। और एक बार पास होने के बाद यह मौजूदा औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की जगह लेता नजर आएगा।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस नए विधेयक के ड्राफ्ट में दिलचस्प यह है कि इसमें केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करके ऑनलाइन दवाओं की बिक्री, भंडारण आदि को विनियमित या प्रतिबंधित कर सकने की बात कही गई है।

बताया जा रहा है कि पूर्व में बने मंत्रियों के समूह में से अधिकतर मंत्री ‘ऑनलाइन दवाओं की बिक्री’ पर प्रतिबंध लगाने की वकालत कर चुके हैं।

यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत में Tata-1mg, Flipkart Health+, Apollo Pharmacy, Amazon Pharmacy, PharmEasy, Reliance Netmeds जैसी तमाम दिग्गज कंपनियाँ भारी छूट और तेज डिलीवरी के जरिए अधिक से अधिक बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की कोशिश में हैं।

E-Pharmacy in India: क्या है मौजूदा व्यवस्था? 

अगर वर्तमान की व्यवस्था की बात करें तो, अभी देश में ई-फार्मेसी कंपनियों दवा नियामक के पास खुद को रजिस्टर करते हुए, श्रेणी ‘एच’ आदि की दवाओं को डॉक्टर के पर्चे के साथ और बाकी अन्य दवाओं को बिना पर्चे के ऑनलाइन बेचने का अधिकार रखती हैं। लेकिन कुछ दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर अभी भी प्रतिबंध लगे हुए हैं।

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