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भारत में क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन अब मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के दायरे में, सरकार का ऐलान

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Crypto under money laundering Law in India: क्रिप्टोकरेंसी भले हाल में एआई चैटबॉट खासकर ChatGPT के चलते सुर्खियों में कम है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि क्रिप्टो की लोकप्रियता में कोई कमी आई हो। विशेष रूप से भारत की बात करें तो सरकार पर लगातार ये दबाव रहा है कि वह नियमों व कानून के लिहाज से देश में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति को स्पष्ट करे।

ये इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वर्तमान गवर्नर शशिकांत दास कई बार सार्वजनिक मंचो पर क्रिप्टो को अर्थव्यवस्था के लिए खतरा तक बताते रहे हैं। लेकिन अब भारत सरकार ने देश में क्रिप्टो लेनदेन को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है।

असल में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने यह ऐलान किया है कि अब से देश के भीतर होने वाले क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित लेनदेन यानी क्रिप्टो ट्रेड (Crypto Trade) मौजूदा ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ एक्ट के दायरे में आएँगे। जी हाँ! जानकारों का कहना है कि सरकार ने आखिरकार, क्रिप्टोकरेंसी पर नकेल कसने का मन बना लिया है।

सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना में साफ तौर पर कहा गया है कि वर्चूअल और डिजिटल संपत्ति से जुड़े लेन-देन अब धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act या PMLA) 2002 के नियमों के अधीन होंगे।

आपको बता दें यह अधिसूचना भारत के भीतर किसी भी तरीके के क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन, क्रिप्टो अपने पास रखने या क्रिप्टो से संबंधित वित्तीय सेवाओं पर लागू होती है।

अधिनियम के मुताबिक, ‘वर्चुअल डिजिटल एसेट’ से मतलब ऐसी संपत्ति से है जो किसी जानकारी, कोड, संख्या या टोकन के रूप में हो और जिसे क्रिप्टोग्राफिक माध्यम से उत्पन्न किया गया हो, फिर चाहे उसको कोई भी नाम दिया जाए।

गौर करने वाली बात ये भी ही कि मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामलों की जांच देश में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जाती है, और यह संस्था पहले से ही देश के कुछ क्रिप्टो एक्सचेंजों की जाँच कर रही हैं।

Crypto under money laundering Law: क्या होगा इसका असर? 

असल में इस अधिसूचना के जारी होने के बाद से, अब भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों को भारतीय वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू-आईएनडी) को सभी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देनी होगी।

यह कुछ ऐसा ही होगा जैसे मौजूदा व्यवस्था के तहत बैंकों या स्टॉक ब्रोकरों जैसी अन्य विनियमित संस्थाओं को मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी मानकों का पालन करना पड़ता है। लेकिन अब से ये डिजिटल-एसेट प्लेटफॉर्म पर भी लागू होगा।

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साथ ही क्रिप्टो को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के दायरे में लाने के बाद अब जाँच एजेंसी को अब देश की सीमाओं से बाहर भी, डिजिटल परिसंपत्तियों के लेनदेन आदि की निगरानी में संबंधित अधिक अधिकार मिल सकेंगे।

यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन (Nirmala Sitharaman) ने हाल ही में ही क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक ग्लोबल फ्रेमवर्क की बात पर जोर दिया था।

भारत ने G20 की अध्यक्षता के तहत आईएमएफ (IMF) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) को संयुक्त रूप से क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर एक तकनीकी पत्र तैयार करने के लिए भी कहा है।

देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर, अभी तक किसी कानून व नियम को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। जैसा हमनें पहले ही बताया, भारतीय रिजर्व बैंक ने तो कई बार क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाए जाने की वकालत की है।

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