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Vodafone Idea के ₹16,133 करोड़ के बकाए के बदले कंपनी में ‘हिस्सेदारी’ ले रही सरकार

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Image Credit: Wikimedia Commons

Vodafone Idea Dues: देश की टॉप तीन दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों में शामिल होने के बाद भी वित्तीय संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (Vodafone Idea Limited) को अब सरकार की ओर से एक बड़ी राहत मिलती नजर आ रही है। असल में कर्ज में डूबी Vodafone Idea के ₹16,133 करोड़ से अधिक के ब्याज बकाया के बदले अब सरकार ने इक्विटी या सरल शब्दों में कहें तो कंपनी में हिस्सेदारी लेना मंजूर किया है।

इस बात की जानकारी वोडाफोन आइडिया की ओर से शुक्रवार को दायर एक नियामक फाइलिंग में दी गई। वोडाफोन आइडिया (Vi) ने बताया कि भारत सरकार के संचार मंत्रालय (Ministry of Communications) ने 3 फरवरी, 2023 को मंजूरी प्रदान की।

असल में संचार मंत्रालय द्वारा कंपनी को यह निर्देश दिया कि वह स्पेक्ट्रम नीलामी की किस्तों से संबंधित ब्याज और एजीआर (Adjusted Gross Revenue) बकाए को ‘इक्विटी शेयरों’ में बदले, और वह इक्विटी हिस्सेदारी भारत सरकार को जारी की जाए।

बता दें, कंपनी सरकार को ₹10 की फेस वैल्यू पर इक्विटी शेयर जारी करेगी। असल में ब्याज बकाए की कुल राशि, जो लगभग ₹16,133,18,48,990 (₹161.33 बिलियन या $1.96 बिलियन) को अब ₹10 प्रति शेयर के हिसाब से इक्विटी शेयरों में बदला जयेगा, जो भारत सरकार को जारी किए जाएँगे।

इस तरह वोडाफोन आइडिया (Vi) में भारत सरकार की हिस्सेदारी लगभग 33% तक की हो जाएगी, जिसके बाद सरकार कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक के रूप में होगी।

सरकार होगी Vodafone Idea Limited की सबसे बड़ी शेयरधारक

दिसंबर 2022 के अंत तक सामने आए आँकड़ो के अनुसार, वोडाफोन आइडिया के प्रमोटरों के पास करीब 75% की हिस्सेदारी है, जिसमें से आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group) के पास 27%, जबकि Vodafone Plc के पास 48% की हिस्सेदारी है।

लेकिन इक्विटी के लिहाज से, इस नए बदलाव के साथ, कंपनी में प्रमोटरों की कुल हिस्सेदारी 50% तक सिमट जाएगी, और इसलिए अब ‘भारत सरकार’ कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक के तौर पर उभरती नजर आ रही है।

क्या है मामला?

असल में बीते काफी समय से वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) वित्तीय संकट से जूझ रही है। पहले से ही काफी कर्ज के डूबी इस कंपनी को अपना संचालन करने और Airtel व Jio से प्रतिद्वंदिता करने के लिए बड़े पैमानें पर पूँजी की जरूरत है। लेकिन कंपनी के हालातों को देखते हुए, इसके प्रमोटर भी कोई नया निवेश करने से हिचकिचा रहे हैं।

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ऐसे में भारत सरकार ने यह साफ कर दिया था कि वह तब तक अपने कर्ज के बदले ‘इक्विटी शेयर’ नहीं लेगी, जब तक प्रमोटर कंपनी में नई पूंजी नहीं डालेंगे।

ऐसे में लगभग 1 साल से यह मामला यही फँसा हुआ था। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में कंपनी के प्रमोटरों – आदित्य बिड़ला ग्रुप और वोडाफोन पीएलसी, दोनों ने यह आश्वासन दिया कि वे Vi के हाई-स्पीड 5G नेटवर्क लॉन्च करने की कवायद शुरू करने के साथ ही ₹20,000 करोड़ तक जुटानें की कोशिश करेंगे। ऐसे में लगता है कि इसी को देखते हुए सरकार ने अपना मूड बदला होगा।

एक पहलू यह भी है कि सरकार यह चाहती है कि दूरसंचार क्षेत्र को कम से कम तीन प्रमुख प्राइवेट कंपनियाँ जरूर हों, जिससे एक स्वस्थ प्रतिद्वंदिता बनी रहे और ग्राहकों के लिए भी, उनकी पसंद के अनुरूप विकल्प मौजूद हों।

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