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Hindenburg vs Adani: अडानी ग्रुप ने दिया 413 पन्नों का जवाब, हिंडनबर्ग ने भी दी प्रतिक्रिया

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Image Credit: Wikimedia Commons | Image is just for representation purpose only.

Hindenburg Research vs Adani Group: जब से हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आई है, अडानी ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे को दिए जा रहे लिखित जवाब व प्रतिक्रियाएँ, शेयर मार्केट को भी खासा प्रभावित कर रही हैं।

खबरों के मुताबिक, हिंडनबर्ग रिसर्च के सामने आने के बाद से अडानी ग्रुप की तमाम कंपनियाँ लगातार गिरावट दर्ज कर रही हैं, और खुद अडानी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन, गौतम अडानी (Gautam Adani) दुनिया के अमीर व्यक्तियों की सूची में फिसलते जा रहे हैं।

ऐसे में विवादों को बढ़ता देख, अब अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों पर अपनी विस्तारित प्रतिक्रिया देते हुए, लगभग 413 पन्नों का जवाब जारी किया है। अपने इस भारी भरकम दस्तावेज में अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग पर कई सवाल उठाए हैं और उनके द्वारा पेश रिपोर्ट के कथित छिपे उद्देश्यों पर भी संशय जाहिर किया है।

Hindenburg vs Adani: अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर ये कहा?

अडानी ग्रुप ने 413 पन्नों के जवाब में यह कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट “सिवाए झूठ के, और कुछ भी नहीं” है। इतना ही नहीं बल्कि अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को भारत और उसकी संस्थाओं के विकास पर एक सुनियोजित हमला तक कह डाला।

Image Credit: Adani Group (Website)

अडानी ग्रुप की ओर से पेश किए गए जवाब में, हिंडनबर्ग पर बड़ी संख्या में कंपनी के निवेशकों को नुकसान पहुंचाने और शॉर्ट-सेलिंग के जरिए मोटा मुनाफा कमाने की कोशिश करने के भी आरोप लगाए गये।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से 88 सवाल पूछे गए थे, जिसको लेकर अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया कि उनमें से 68 उन मामलों से संबंधित हैं, जिन पर कंपनी समय-समय पर मेमोरेंडम, वित्तीय विवरण और स्टॉक एक्सचेंज में दायर दस्तावेजों में जानकारियाँ साझा करती रही है। वहीं लगभग 16 सवाल सार्वजनिक शेयरधारकों और उनके धन के स्रोतों से जुड़े हुए हैं, जबकि 4 सवालों को सिर्फ निराधार आरोप बताया गया।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप के जवाब पर दी अपनी प्रतिक्रिया

अडानी ग्रुप द्वारा साझा किए गए 413 पन्नों के जवाब पर हिंडनबर्ग ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “राष्ट्रवाद की आड़ लेकर, वित्तीय धोखाधड़ी को छिपाया नहीं जा सकता।”

हिंडनबर्ग ने कहा,

“भारत एक विशाल लोकतंत्र और भविष्य की उभरती हुई महाशक्ति है, लेकिन अडानी ग्रुप ‘धोखाधड़ी’ के जरिए, देश के असल विकास को बाधित कर रहा है।”

हिंडनबर्ग के अनुसार, अडानी ग्रुप ने अपने 413 पन्नों के जवाब में भी, उसकी रिपोर्ट में पूछे गए 88 सवालों को लेकर कुछ साफ उत्तर नहीं दिए हैं। रिसर्च संस्थान के अनुसार, अडानी ग्रुप द्वारा जारी किए गए जवाब दस्तावेज में कंपनी असल में पूछे गए प्रश्नों से बचने की कोशिश करती नजर आई है।

गौर करने वाली बात ये है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से भारतीय शेयर मार्केट भी निरंतर गिरावट ही दर्ज कर रहा है। हालाँकि अडानी ग्रुप द्वारा पेश किए गए 413 पन्नों के जवाब के बाद, कंपनी के मार्केट शेयर में थोड़ा सुधार दिखा।

लेकिन इस बीच अडानी ग्रुप से संबंधित शेयर्स से लेकर LIC और बैंकिंग सेक्टर जैसी संस्थानों को भी सवालों के घेरे में लाने की कोशिश की जा रही है।

Hindenburg Research vs Adani Group: क्या थी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट?

आपको बता दें मशहूर अमेरिकी रिसर्च संस्थान, हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने 25 जनवरी, 2023 को एक 106 पन्नों की रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें अडानी ग्रुप में कई तरह की अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए, इस संस्था पर धोखाधड़ी जैसे आरोप तक लगाए गए थे।

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उस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन सालों में $100 बिलियन से अधिक की वृद्धि के साथ, अडानी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन, गौतम अडानी (Gautam Adani) की कुल संपत्ति लगभग $120 बिलियन हो गई है।

रिपोर्ट की मानें तो, इस वृद्धि के पीछे की मुख्य वजह, अडानी ग्रुप के अंतर्गत आने वाली तमाम कंपनियों के शेयरों की कीमतों में दर्ज की गई हैरतंगेज बढ़ौतरी को बताया गया है। इनमें सबसे अहम ग्रुप के तहत आने वाले 7 कंपनियाँ रहीं, जिन्होंने संबंधित अवधि के दौरान औसत रूप से 819% तक की बढ़त दर्ज की।

इस फोरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी का कहना है कि उसने रिपोर्ट को तैयार करने के लिए अडानी ग्रुप के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई लोगों का साक्षात्कार लिया गया, हजारों दस्तावेजों की जांच की गई, और करीब एक दर्जन से अधिक देशों की कई आधिकारिक वेबसाइट व आँकड़ो को भी टटोला।

इस रिपोर्ट के असर का आँकलन आप इसी बात से कर सकते हैं कि रिपोर्ट प्रकाशित होने के अगले ही दिन अडानी ग्रुप के चेयरमैन, गौतम अडानी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में चौथे स्थान से खिसक कर  सातवें स्थान पर आ गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी संपत्ति महज 2 दिनों के भीतर ही लगभग $22 बिलियन तक कम हो गई।

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