GACs for Complaints Against Social Media: भारत में तेजी से बढ़ते इंटरनेट बाजार में सोशल मीडिया का अहम योगदान है। आज भारत दिग्गज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों जैसे ट्विटर (Twitter), फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram), यूट्यूब (YouTube) आदि के लिए एक बड़ा उपयोगकर्ता आधार बन गया है।
लेकिन जैसे-जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का प्रसार हो रहा है, उसी रफ्तार में इससे जुड़ी कई परेशानियाँ और उपयोगकर्ताओं की शिकायतों में भी वृद्धि हो रही है। असल में मौजूदा दौर में भी भारत में दुनिया भर में पुख्ता इंटरनेट रेग्युलेशन नियमों के अभाव का भरपूर फायदा, ये तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उठा रहे हैं। लेकिन अब तमाम सरकारों का ध्यान इस ओर जा रहा है और उन्होंने इन पर लगाम लगाने के उपाय भी शुरू कर दिए हैं।
इसी क्रम में अब भारत सरकार ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के उपयोगकर्ताओं की शिकायतों का निपटारा करने के लाइट तीन-तीन सदस्यों वाली तीन ‘शिकायत अपीलीय समितियों‘ (‘Grievance Appellate Committees‘ या ‘GACs‘) का गठन किया है।
जी हाँ! देश में नए आईटी नियमों – ‘IT Rules 2021‘ में किए गए बदलावों के लगभग तीन महीनें बाद सरकार ने इन तीन समितियों को बनाने से संबंधित अधिसूचना जारी की है।
क्या होगा ‘Grievance Appellate Committees’ या ‘GACs’ का काम?
आपको बता दें भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) का ये कहना है कि आज के मौजूदा हालतों और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही इन तीन समितियों का गठन किया जा रहा है, जो आगामी 1 मार्च, 2023 से अपना-अपना काम शुरू कर देंगी।
सामने आई जानकारी के मुताबिक, इन तीनों समितियों के संबंधित शिकायत निवारण अधिकारियों द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों से जुड़े कंटेंट या अकाउंट्स को ब्लॉक करने या अन्य तमाम शिकायतों का निवारण करने के काम किया जाएगा। शिकायत मिलने के 30 दिनों के भीतर ही उसका समाधान करने की बात भी कही गई है।
आपको बता दें, सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, तीनों GACs समितियों में तीन-तीन सदस्य होंगे, जिनमें एक अध्यक्ष और विभिन्न सरकारी संस्थाओं या सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों के रूप में दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे। इनका कार्यालय, पद ग्रहण करने की तारीख से तीन साल तक के लिए निश्चित होगा।
क्यों पड़ी जरूरत?
मंत्रालय के अनुसार, आज कल बड़ी संख्या में सोशल मीडिया कंपनियों या मध्यस्थों द्वारा उपयोगकर्ताओं की शिकायतों को अनसुना करने या स्पष्ट रूप से उनका समाधान ना करने के मामले सामने आते रहते हैं। इसलिए इस समस्या के स्थाई समाधान के रूप में इस विकल्प को चुना गया है, जिससे सभी इंटरनेट कंपनियों और सोशल मीडिया मध्यस्थों (बिचौलियों) में एक जवाबदेही की संस्कृति को शुरू किया जा सके।
कैसे दर्ज कर सकेंगे उपयोगकर्ता अपनी शिकायतें?
GAC असल में एक वर्चुअल डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा, जो केवल ऑनलाइन और डिजिटल रूप से संचालित किया जयेगा। इनमें उपयोगकर्ताओं द्वारा अपील दायर करने से लेकर, समितियों के निर्णय लेने तक की पूरी प्रक्रिया, डिजिटल रूप से ही की जाएगी।
आपको तब दें उपयोगकर्ताओं नए आईटी नियमों के तहत, सोशल मीडिया मध्यस्थों और अन्य इंटरनेट कंपनियों के द्वारा नियुक्त शिकायत निवारण अधिकारियों के फैसलों को भी, इस नए अपीलीय निकाय – GACs में चुनौती दे सकेंगे। समितियाँ लगभग 30 दिनों के भीतर उपयोगकर्ताओं की शिकायतों को हल करने की कोशिश करेंगी।
जानें तीनों GACs समितियों के बारे में?
इनमें से पहली समिति की अध्यक्षता गृह मंत्रालय के तहत ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा की जाएगी। वहीं इसके अन्य दो सदस्यों में आशुतोष शुक्ला (भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी) और सुनील सोनी (पूर्व मुख्य महाप्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक) का नाम शामिल है।
वहीं दूसरी समिति की अध्यक्षता सूचना और प्रसारण मंत्रालय में ‘नीति और प्रशासन विभाग’ के प्रभारी संयुक्त सचिव द्वारा की जाएगी। साथ ही सुनील कुमार गुप्ता (भारतीय नौसेना की कार्मिक सेवाओं के पूर्व निदेशक) और कविंद्र शर्मा (L&T Infotech में परामर्श विभाग के पूर्व उपाध्यक्ष) पैनल के अन्य दो पूर्णकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए हैं।
आख़िरी और तीसरी समिति की अध्यक्षता इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की वरिष्ठ वैज्ञानिक। कविता भाटिया द्वारा की जाएगी। वहीं अन्य दो सदस्यों की बात करें तो, इसमें संजय गोयल (भारतीय रेलवे के पूर्व यातायात सेवा अधिकारी) और कृष्णागिरी रागोथमाराव (IDBI Intech के पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ) होंगे।