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Samsung India को ₹1,728 करोड़ के मामले में DRI ने थमाया नोटिस: रिपोर्ट

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DRI issues show cause notice to Samsung India: हाल में भारत के भीतर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर कई दिग्गज वैश्विक कंपनियों पर गाज गिरती नजर आई है। और अब इस लिस्ट में दक्षिण कोरियाई कंपनी की सहायक इकाई, सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स (Samsung India Electronics) का नाम भी शुमार हो गया है।

खबरों के मुताबिक, भारत के राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने वित्तीय गड़बड़ियों के संबंध में सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

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असल में Economic Times की एक रिपोर्ट में इस खबर का खुलासा करते हुए यह कहा गया है कि अपने नोटिस में राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने सैमसंग इंडिया (Samsung India) पर सीमा शुल्क की चोरी का आरोप लगाते हुए यह पूछा है कि आखिर दक्षिण कोरिया आधारित सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स (Samsung Electronics) की इस सहायक कंपनी से ब्याज के साथ लगभग ₹1,728.47 करोड़ की वसूली क्यों न की जाए?

बता दें डीआरआई के पास दर्ज हुए एक मामले को आधार बनाते हुए, इस हफ्ते की शुरुआत में ही न्हावा सेवा कस्टम्स (Nhava Sheva Customs) द्वारा ये नोटिस जारी किया गया है।

Samsung India vs DRI – जानें क्या है पूरा मामला?

रिपोर्ट की मानें तो यह मामला असल में ‘सैमसंग इंडिया’ द्वारा अपनी एक नेटवर्किंग डिवाइस – रिमोट रेडियो हेड (RRH) के बारे में दी गई गलत जानकारी और गलत वर्गीकरण से संबंधित है। कंपनी पर आरोप है कि इन गलत जानकारियों के जरिए यह मूल सीमा शुल्क में अनुचित तरीके से छूट का लाभ उठाना चाहती थी।

रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (SIEL) ने इस नेटवर्क उपकरण के वर्गीकरण की ज़िम्मेदारी PwC को सौंपी थी, जो फिलहाल जाँच के घेरे में है।

गौर करने वाली बात ये भी है कि अपनी इस नोटिस में डीआरआई (DRI) ने यह भी पूछा है कि कंपनी के सीनियर मैनेजमेंट के खिलाफ भी जुर्माना क्यों न लगाया जाए?

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कथित रूप से इस मामले में सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (SIEL), प्राइसवाटरहाउसकूपर्स प्राइवेट लिमिटेड (PwC) और कुछ निदेशकों को भी नोटिस जारी किया है। इन सभी के पास नोटिस का जवाब देने के लिए 30 दिनों का समय है।

साफ कर दें कि अब तक इन कंपनियों द्वारा इस कथित मामले में कोई आधिकारिक बयान या जवाब जारी नहीं किया गया है।

डीआरआई ने अपने इस नोटिस में यह भी पूछा है कि बिल ऑफ एंट्री के तहत आयात किए गए ₹6,72,821 करोड़ के कुल मूल्य वाले विवादित सामान को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 111 (एम) के प्रावधानों के तहत जब्ती के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिए?

इतना ही नहीं बल्कि रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी बताया गया कि इस भारतीय एजेंसी ने यह भी पूछा है कि बिल ऑफ एंट्री के संबंध में ₹1,728.47 करोड़ के ‘अंतर शुल्क’ को सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 28(4) के प्रावधानों के तहत ब्याज सहित क्यों ना वसूला जाए?

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