World Bank Report – Indian Economy & Global Recession: पिछले कुछ समय से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के हालतों को देखते हुए, अब वर्ल्ड बैंक ने संभावित वैश्विक मंदी को लेकर आगाह किया है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, अमेरिका, यूरोप व चीन जैसी कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं बहुत अच्छी हालत में नहीं कही जा सकती हैं।
शायद यही वजह है कि वर्ल्ड बैंक ने वैश्विक विकास दर के अनुमान को घटाते हुए 1.7 फीसदी कर दिया है। बता दें करीब छः महीने पहले ही वैश्विक जीडीपी विकास दर के लगभग 3 फीसदी तक रहने की संभावना जताई गई थी, जिसे जाहिर तौर पर अब लगभग आधा कर दिया गया है।
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‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स’ (Global Economic Prospects) नामक अपनी रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की संभावनाओं और बढ़ती अनिश्चितता के चलते निर्यात और निवेश दोनों की वृद्धि पर असर पड़ेगा।
साथ ही यह भी संभावना जताई गई है कि इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च में वृद्धि और व्यावसायिक सुविधा के उपायों के चलते निवेश में और विनिर्माण क्षमता का विस्तार हो सकता है।
World Bank on Indian Economy
लेकिन भारत के लिए इसके मायनें क्या हैं? और भारत की विकास दर को लेकर वर्ल्ड बैंक ने कुछ दिलचस्प बातें कहीं हैं।
असल में वर्ल्ड बैंक ने दक्षिण एशियाई बाजार में संभावित मंदी का ज्यादा असर नहीं पड़ने का भी अनुमान लगाया है, और इसमें भारत की अर्थव्यवस्था एक प्रमुख रोल अदा कर सकती है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए 2023 और 2024 में वृद्धि दर क्रमशः 3.6 फीसदी और 4.6 फीसदी दर्ज की जा सकती है, जो तुलनात्मक रूप से वैश्विक विकास दर से अधिक नजर आती है। लेकिन इसके बाद भी ये आँकड़े बहुत अच्छे तो नहीं कहे जा सकते हैं और इसके लिए वर्ल्ड बैंक ने मुख्य रूप से पाकिस्तान में कमजोर विकास को वजह बताया है।
आँकड़ो की बात करें तो वर्ल्ड बैंक ने अगले वित्तवर्ष 2023-24 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.6 फीसदी तक रहने का संभावना व्यक्त की है।
दक्षिण एशियाई बाजार को देखें तो कुल उत्पादन में करीब 75 फीसदी हिस्सेदारी भारत की ही रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सात सबसे बड़े उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भारत ‘सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था’ बन सकता है।
बताते चलें की वर्ल्ड बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 में भी भारत की विकास दर 6.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
गौर करने वलय बात ये है कि वर्ल्ड बैंक के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था को महंगाई और व्यापार घाटे आदि के चलते चुनौती मिलती नजर आ सकती है। असल में महंगाई के बढ़ने से उपभोक्ता खपत पर इसका सीधा असर पड़ता है और वहीं व्यापार घाटा देश के राजस्व को कम कर देता है।