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नए आईटी नियमों के दायरे में आएगीं ऑनलाइन गेमिंग कंपनियाँ, सेल्फ-रेगुलेशन का प्रस्ताव

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Online Gaming Firms To Come Under IT Rules?: भारत सरकार की ओर से आज देश में ऑनलाइन गेमिंग नियमों से संबंधित मसौदे (ड्राफ्ट) को पेश किया गया। इस नए ड्राफ्ट में कई आगामी नियमों और देश में ऑनलाइन गेमिंग के भविष्य की एक तस्वीर पेश की गई।

असल में आज पेश किए गए ड्राफ्ट के अनुसार, सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए एक सेल्फ-रेगुलेशन सिस्टम, खिलाड़ियों के अनिवार्य सत्यापन और एक भौतिक भारतीय पते जैसी चीजों को प्रस्तावित किया है।

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ET द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस नए ड्राफ्ट में ‘ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों’ को नए आईटी नियमों के दायरे में लाने का भी प्रावधान है। बताते चलें यहाँ उन्हीं आईटी नियमों की बात हो रही है, जिन्हें साल 2021 में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया था।

Online Gaming Companies To Come Under IT Rules, Self-Regulation Proposed

स्वाभाविक रूप से मसौदे के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्मों से संबंधित भारतीय कानूनों का पालन करने की अपेक्षा की जाती है, जिसमें जुआ या सट्टेबाजी आदि से से जुड़े कानून शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, संबंधित नोटिस में कहा गया है,

“पेश किए गए मसौदे (ड्राफ्ट) संशोधन का लक्ष्य ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के विकास को एक जवाबदेह स्वरूप के तहत बढ़वा देने का है, जिससे तमाम कानूनी आवश्यकताओं को भी संबोधित किया जा सके।”

संबंधित मसौदे में किए गए संशोधनों में यह प्रस्तावित किया गया है कि एक ‘ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ’ उन सभी नियमों के पालन को सुनिश्चित करनेगा, जिसके तहत भारतीय कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी ऑनलाइन गेम को होस्ट, प्रदर्शित, अपलोड, प्रकाशित, प्रसारित या शेयर ना किया जा सके, जिसमें मौजूदा जुआ या सट्टेबाजी से जुड़े कानूनों को भी शामिल रखा जाएगा।

इतना ही नहीं बल्कि इस मसौदे में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए यह भी प्रस्तावित किया गया है कि उन्हें एक सेल्फ-रेगुलेट्री निकाय द्वारा रजिस्टर्ड “पंजीकरण चिह्न” (रजिस्ट्रेशन मार्क) को सभी ऑनलाइन गेम्स में प्रदर्शित करता होगा।

साथ ही ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वह उनके उपयोगकर्ताओं को सभी तरह की जानकारी स्पष्ट रूप से प्रदान की जाएँ, जैसे जमा पैसों की वापसी या उसे निकालनें से संबंधित नीतियों, चीजों को निर्धारित करने के तरीके और जीत के बाद राशि आदि के वितरण, फीस से लेकर यूजर अकाउंट रजिस्ट्रेशन के लिए केवाईसी की प्रक्रिया और शुल्क आदि।

संबंधित नोटिस में साफ तौर पर कहा गया है कि;

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“ये सेल्फ-रेगुलेट्री निकाय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत पंजीकृत (रजिस्टर) होंगे और ऐसे ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थों के ऑनलाइन गेम पंजीकृत कर सकेंगे, जो इसके सदस्य हों और जो कुछ मानदंडों को पूरा करते हों।”

“इतना ही नहीं बल्कि ये निकाय शिकायत निवारण सिस्टम के जरिए शिकायतों का समाधान करने का भी काम करेंगे।”

यह ऐसे वक्त में आया है जब कुछ ही दिनों पहले भारत सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री से संबंधित मामलों के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को नोडल मिनिस्ट्री (मंत्रालय) के रूप में नियुक्त किया है। सरकार को उम्मीद है यह कदम ऑनलाइन गेमिंग जगत को एक नियामक ढांचा प्रदान करने में मददगार साबित होगा।

असल में अब तक देश का ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र से जुड़े मामलों को कई मंत्रालय एक साथ मिलकर संबोधित करते थे, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB), और खेल मंत्रालय तक शामिल थे।

26 दिसंबर को प्रकाशित गजट अधिसूचना के अनुसार, मल्टी-स्पोर्ट्स इवेंट के आयोजनों के हिस्से के रूप में उभरता हुआ ई-स्पोर्ट्स (e-Sports) क्षेत्र अब युवा मामलों और खेल मंत्रालय के अंतर्गत आएगा।

बताते चलें कि इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 17 जनवरी तक इस मसौदे (ड्राफ्ट) पर सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।

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