Skyroot Aerospace Vikram-S Launch: दुनिया के तमाम देश बीतें कई दशकों से अंतरिक्ष अनुसंधान और इससे संबंधित तकनीकों को विकसित करने की दिशा में कड़े प्रयास कर रहे हैं। लेकिन अक्सर ये मुद्दा उठाया जाता रहा है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में प्राइवेट खिलाड़ियों की कमी के चलते इस क्षेत्र में विकास की रफ्तार धीमी-सी रह जाती है।
जानकार मानते हैं कि सिर्फ सरकारी एजेंसियो पर सारा ज़िम्मा डाल देने के बजाए अगर कुछ निजी कंपनियाँ भी अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी तकनीकों को विकसित करने में रुचि दिखाएँ तो भविष्य की तकनीकों को जल्द से जल्द वास्तविकता का रूप दिया जा सकता है, इसका उदाहरण हम SpaceX और Blue Origin जैसी कंपनियों के रूप में देख भी सकते हैं।
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दिलचस्प बात ये है कि भारत ने भी अब इस दिशा में कई सकारात्मक प्रयास होते नजर आ रहे हैं। बीतें कुछ सालों में कुछ प्राइवेट कंपनियाँ/स्टार्टअप्स सामने आई हैं, जिन्होंने देश को नई उम्मीदें दी हैं। और कुछ ही समय के भीतर, आज इन्हीं में से एक कंपनी – स्काईरूट एयरोस्पस (Skyroot Aerospace) ने अपना नाम भारत के इतिहास में दर्ज करवा दिया है।
Thanks dear @narendramodi ji for your transformational vision for India’s private space, which is the bedrock on which we accomplished our milestone today. We are happy to be part of India’s space history and look forward to be a strong part of its bright future.@isro @inspace https://t.co/OTYKuZj2Ru
— Skyroot Aerospace (@SkyrootA) November 18, 2022
असल में देश में पहली बार आज इसरो (ISRO) के अंतरिक्ष केंद्र से एक निजी (प्राइवेट) रॉकेट विक्रम-एस (Vikram-S) ने सफल उड़ान भरी।
लगभग चार साल पुरानी कंपनी Skyroot ने अपने मिशन (Prarambh Mission) के तहत 18 नवंबर को ‘विक्रम-एस’ रॉकेट इसरो के आंध्रप्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। बता दें यह एक हाइपरसोनिक रॉकेट था, जिसका मतलब ये है कि ये आवाज की गति से पांच गुना अधिक रफ्तार से अंतरिक्ष की ओर बढ़ा।
इसे एक सिंगल-स्टेज सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल कहा जा सकता है, जो अपने साथ अंतरिक्ष में तीन पेलोड (सैटेलाइट्स) ले गया है। इसमें चेन्नई के स्टार्टअप स्पेस किड्ज (Space Kidz), आंध्र प्रदेश के स्टार्टअप एन-स्पेस टेक (N-Space Tech) और आर्मेनिया के स्टार्टअप बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब (Bazoomq Space Research Lab) के सैटेलाइट्स शामिल रहे।
देश की इस पहली सफल निजी अंतरिक्ष उड़ान के बाद अब उम्मीद ये की जा रही है कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों व स्टार्टअप्स के लिए संभावनाओं के नए दरवाज़े खोलेगा और वो तमाम कंपनियाँ भी ऐसी तमाम सफ़लताओं की गवाह बन सकेगीं।
इस बीच बात करें Skyroot Aerospace की तो इसकी शुरुआत साल 2018 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक रहे, पवन कुमार चंदना (Pawan Kumar Chandana) और नागा भारथ डाका (Naga Bharath Daka) ने मिलकर की थी।
कंपनी के अनुसार, उसने इस मिशन को लेकर साल 2020 में काम शुरू किया था और दिलचस्प बात ये है कि विक्रम-एस (Vikram-S) रॉकेट को रिकॉर्ड 2 सालों में तैयार किया गया है। यह रॉकेट सॉलिड फ्यूल्ड प्रोपल्शन इंजन और कार्बन फाइबर कोर स्ट्रक्चर जैसी चीजों से लैस है।
स्काईरूट के मुताबिक, विक्रम-एस रॉकेट का वजन 545 किलो है और इसकी लम्बाई लगभग 6 मीटर और व्यास 0.375 मीटर है।
इसके सफ़लता के महत्व को देखते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इसरो के वर्तमान अध्यक्ष – एस. सोमनाथ समेत देश भर में कई हस्तियों ने इस पल को ऐतिहासिक बताते हुए, पूरी टीम को बधाई दी।
ऐसे मिशनों की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि अब तक देश रॉकेट लॉन्च को लेकर पूरी तरह से इसरो पर ही निर्भर है लेकिन एक निजी कंपनी द्वारा अर्जित की गई ऐसी सफ़लता के बाद जानकार ये मानते हैं कि अंतरिक्ष संबंधित छोटे लेकिन अहम मिशन का भार अब प्राइवेट सेक्टर वहन कर सकेगा और भारत की स्पेस एजेंसी इसरो बड़े-बड़े मिशन पर ध्यान केंद्रित कर सकेगी।