Now Reading
NASA का Artemis 1 मिशन ‘चांद पर इंसानों’ को भेजने की दिशा में निभाएगा अहम रोल, जानें यहाँ?

NASA का Artemis 1 मिशन ‘चांद पर इंसानों’ को भेजने की दिशा में निभाएगा अहम रोल, जानें यहाँ?

nasa-artemis-1-moon-mission-know-all-about-it

NASA Artemis 1 Mission: लगभग 50 सालों बाद एक बार फिर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने इंसानों को चांद पर भेजनें की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। बुधवार (16 नवंबर) को ही अमेरिका के फ्लोरिडा से आर्टिमिस-1 (Artemis 1) मिशन के तहत ऑरियन (Orion) स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

जाहिर है नासा (NASA) एक बार फिर से इंसानों को चांद पर भेजने की सफलता दर्ज करने के लिए बेताब है, और इसलिए इस ट्रायल मिशन की शुरुआत की गई है।

ऐसी तमाम ख़बरें सबसे पहले पाने के लिए जुड़ें हमारे टेलीग्राम चैनल से!: (टेलीग्राम चैनल लिंक)

लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर इस मिशन के जरिए नासा (NASA) अंतरिक्ष व चाँद से जुड़ी किन-किन जानकारियों और रहस्यों का पता लगाना चाहता है? तो आइए ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानते हैं!

लगभग 5 दशक पहले चांद पर इंसान ने रखा था कदम

जी हाँ! बीतें 50 सालों में भले इंसान चांद पर नहीं पहुँच पाया हो, लेकिन ये सुनकर थोड़ी हैरानी ज़रूर होती है कि 1960 के दशक में ही इंसान चांद की सतह तक पहुंचनें में कामयाब रहा था।

असल में इतिहास के पन्नों को पलटेंगें तो पता चलेगा कि 1960 के दशक में शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ही ‘अंतरिक्ष अनुसंधान’ क्षेत्र में भी एक-दूसरे को पछाड़ने की पूरी कोशिशें कर रहे थे। इसका असर ये रहा कि ‘अंतरिक्ष क्षेत्र’ से संबंधित तकनीक तेजी से विकसित होने लगीं।

NASA Artemis 1

1961 में सोवियत संघ ने युरी गागरिन नामक व्यक्ति को चांद पर भेजने में सफलता हासिल की तो वहीं 1972 में अमेरिका ने अपोलो मिशन तहत ‘जिन सरनेन’ नामक शख़्स को चांद पर भेज नया कीर्तिमान दर्ज करवाया। लेकिन तब भी सीमित तकनीकों की वजह से अंतरिक्ष व चांद की खोज से जुड़े कई पहलू अनछुए ही रह गए।

ऐसे में नासा व अन्य देशों की एजेंसियाँ बीतें 5 दशकों से कई नई तकनीकों पर काम कर रहीं हैं, जिससे चांद से संबंधित अंतरिक्ष मिशनों को शोध के लिहाज से अधिक व्यापक रूप दिया जा सके।

इन 50 सालों में दर्ज की गई कई उपलब्धियाँ 

पिछले 50 सालों में अंतरिक्ष की खोज को लेकर विकसित की गई नई तकनीकों की ही देन रही कि अब तक कुल मिलाकर 400-500 से अधिक एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में जा चुके हैं और कुछ देशों ने अंतरिक्ष में ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ समेत कुछ बड़े स्थायी ठिकाने भी बनाए हैं।

लेकिन नासा का आर्टिमिस-1 मिशन क्यों हैं खास?

सबसे पहले तो हम ये साफ कर दें कि नासा का ये आर्टिमिस-1 मिशन एक मानव-रहित अंतरिक्ष मिशन है। ग्रीक मान्यताओं के हिसाब से ‘आर्टेमिस’ को ‘अपोलो’ की बहन का नाम बताया जाता है। शायद यही वजह है कि नासा ने अपने नए मून मिशन (Moon Mission) को यह नाम दिया।

फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किए गए अर्टेमिस-1 मिशन के तहत ऑरियन (Orion) स्पेसक्राफ्ट और स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) असल में चांद तक जाएँगे और ऑरियन लगभग 42 दिनों तक चांद की यात्रा करके वापस जाएगा।

नासा के अनुसार, ऑरियन चांद की सतह के 96 किमी पास से गुजरेगा और चंद्रमा की कक्षा में सैटेलाइट्स को तैनात करेगा। ये सैटेलाइट्स ऑरियन व अंतरिक्ष की अन्य गतिविधियों पर नजर रखेंगे। बाद में अपनी तय अवधि पूरी करके ऑरियन वापस पृथ्वी पर आ जाएगा।

See Also
amazon-launches-prime-video-app-for-mac

NASA Artemis 1

ओरियन स्पेसक्राफ्ट को वैसे तो इंसानों की स्पेस यात्रा के लिहाज से बनाया गया है। लेकिन फिलहाल इसमें लगभग 5,600 रेडिएशन सेंसर से लैस, ‘शॉन’ और ‘शीप’ नामक दो पुतले भेजे गए हैं, जो सेंसर्स की मदद से चांद के माहौल में इंसानी शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को रिकॉर्ड करने का काम करेंगे।

इसलिए देखा जाए इंसानों को चांद पर भेजनें की दिशा में नासा ने अपने “आर्टिमिस मिशन” को कई चरणों में बाँटा है।

आर्टिमिस-1 को हम एक ट्रायल मिशन के रूप में देख सकते हैं, जिसमें कोई भी अंतरिक्ष यात्री शामिल नहीं रहा। लेकिन आर्टिमिस-2 मिशन को अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंजाम दिया जाएगा। वहीं अगर सब कुछ ठीक रहा तो साल 2025 में आर्टिमिस-3 मिशन के तहत नासा अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर उतारने के प्रयास करेगा।

 

©प्रतिलिप्यधिकार (Copyright) 2014-2023 Blue Box Media Private Limited (India). सर्वाधिकार सुरक्षित.