Several Indian startups may lose their Unicorn status? बीते कुछ समय से भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा अर्जित किए जा रहे “यूनिकॉर्न स्टेटस” को लेकर चर्चा का बाजार काफी गर्म रहा है। लेकिन ठीक इसी समय अब एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जो स्टार्टअप ईकोसिस्टम में थोड़ी बेचैनी पैदा कर सकती है।
वर्तमान समय में नए स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग की कमी और पुराने स्टार्टअप्स को निवेश हासिल करने में आ रही चुनौतियों की स्थिति बनी हुई है। बाजार ने इसे फंडिंग विंटर (Funding Winter) तक का नाम दे दिया है।
ऐसे हालातों के बीच अब माना ये जा रहा है कि भारत में कई स्टार्टअप अपना ‘यूनिकॉर्न स्टेटस’ खो सकते हैं। आपको बता दें भारत में कोई स्टार्टअप “यूनिकॉर्न” का दर्जा तब हासिल करता है जब उसका मूल्यांकन (वैल्यूएशन) $1 बिलियन से अधिक हो जाता है।
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असल में Financial Express (FE) की एक हालिया रिपोर्ट में कई विशेषज्ञों के हवाले से ये कहा गया है कि स्टार्टअप संस्थापक बाजार की मौजूदा प्रतिकूल स्थितियों के बीच निवेश जुटाने की कोशिश करने से बचते नजर आ रहे हैं।
लेकिन ऐसे कई स्टार्टअप्स जो पहले ही इस दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं, वह अपना यूनिकॉर्न स्टेटस गँवा सकते हैं। रिपोर्ट में इसके पीछे की वजह पर भी प्रकाश डाला गया है।
Several Indian startups may lose their Unicorn status – Report
दिलचस्प रूप से FE की इस रिपोर्ट के मुताबिक, जानकारों का मानना है कि भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश करने वाले अधिकतर बड़े निवेशक मूल रूप से ‘वैश्विक तकनीकी निवेशक’ हैं और वो सभी आम तौर पर अमेरिका, यूरोप, चीनी और जापानी बाजारों में तकनीकी शेयरों को ध्यान में रखते हुए भी कुछ स्थानीय भारतीय स्टार्टअप्स की वैल्यूएशन का आँकलन करना पसंद करते हैं।
ऐसे में जाहिर है कि अगर प्रमुख वैश्विक बाजारों में टेक शेयरों में गिरावट दर्ज की जाती है तो उन वैश्विक निवेशकों के चलते इसका सीधा असर उनके भारतीय पोर्टफोलियो वाली कंपनियों के मूल्यांकन पर भी पड़ेगा।
ये इसलिए भी और दिलचस्प हो जाता है क्योंकि बीता साल यानि 2021 स्टार्टअप जगत में भारत के लिए ‘Year of Unicorns’ के रूप में दर्ज किया गया था। साल 2021 में भारत में 40 से अधिक स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त किया था।
लेकिन एक आँकड़ा ये भी कहता है कि बीते 5 सालों में लगभग 7 भारतीय स्टार्टअप्स अपना ‘यूनिकॉर्न स्टेटस’ खो चुके हैं। रिपोर्ट में सामने आए आँकड़ो के अनुसार, साल 2018 से 2022 के बीच भारत में लगभग 105 स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त किया है।
लेकिन वर्तमान समय में सक्रिय यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की संख्या घटकर 84 हो गई है। इसकी वजह है निवेशकों द्वारा कंपनी की वैल्यूएशन में कमी करना, जिसके ‘इन्वेस्टर मार्कडाउन’ कहा जाता है। जी हाँ! इसके चलते ही लगभग 7 स्टार्टअप्स ने अपनी वैल्यूएशन कम होते देखी। वहीं लगभग 10 स्टार्टअप्स ने खुद को एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध किया।
क्विकर और हाइक ने निवेशक मार्कडाउन के कारण अपनी यूनिकॉर्न स्थिति खो दी। स्नैपडील, शॉपक्लूज और पेटीएम मॉल ने अपने निवेशकों द्वारा मूल्यांकन में गिरावट के कारण अपनी स्थिति खो दी।
देखा जाए तो Quikr और Hike ने ‘इन्वेस्टर मार्कडाउन’ के चलते ही अपना यूनिकॉर्न का दर्जा खो दिया। साथ ही Paytm Mall, Snapdeal और Shopclues के साथ भी लगभग ऐसा ही कुछ हुआ।
लेकिन रिपोर्ट में एक हैरान करने वाला खुलासा ये भी किया गया कि कई भारतीय स्टार्टअप्स में बतौर निवेशक शामिल रहने वाले SoftBank ने भी 280 कंपनियों की वैल्यूएशन में गिरावट की है।
ये सब ऐसे वक्त में हो रहा है जब इसी साल भारत में मनाए गए ‘स्वतंत्रता के 75वें वर्ष’ पर ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के दौरान प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप्स के योगदान को रेखांकित करते हुए ‘स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक’ जैसी पहल तक की शुरुआत की थी।
DPIIT ने अब तक देश भर में कुल 61,000 से अधिक स्टार्टअप को मान्यता दी है। ये भारतीय स्टार्टअप्स 55 अलग अलग इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं और क़रीब 633 जिलों में फैले हुए हैं। देश भर में मौजूद इन तमाम स्टार्टअप्स ने 2016 से अब तक करीब 6 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।