Site icon NewsNorth

PayU अब नहीं करेगा BillDesk का अधिग्रहण, रद्द की लगभग ₹38,400 करोड़ की डील

payu-cancels-billdesk-acquisition-deal

PayU terminates acquisition of BillDesk: आज से लगभग एक साल पहले, अगस्त 2021 में PayU की मूल कंपनी नीदरलैंड आधारित Prosus NV ने यह ऐलान किया था कि वह $4.7 (लगभग ₹38,400 करोड़) में लोकप्रिय भारतीय पेमेंट एग्रीगेटर BillDesk का अधिग्रहण करने जा रही है।

इसके बाद इस मर्जर के लिए अप्लाई करने के क़रीब एक साल बाद भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) भी इसे मंजूरी दे देता है। लेकिन मंजूरी प्राप्त करने के कुछ ही दिन बाद PayU की मूल कंपनी Prosus NV आज यह घोषणा करती है कि वह BillDesk के अधिग्रहण को रद्द कर रही है।

ऐसी तमाम ख़बरें सबसे पहले पाने के लिए जुड़ें हमारे टेलीग्राम चैनल से!: (टेलीग्राम चैनल लिंक)

जी हाँ! सुनने में ये अंदाज भले थोड़ा हैरान करने वाला लगे, लेकिन ऐसा ही कुछ हुआ है। Prosus NV ने आज इस डील को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि कुछ शर्तों को समयसीमा के भीतर पूरा नहीं किया गया है।

साल 2000 में अपने संचालन की शुरुआत करने वाला BillDesk आज भारत में शीर्ष पेमेंट बिजनेस एग्रीगेटर के रूप में स्थापित हो चुका है।

इस डील को रद्द करते हुए 3 अक्टूबर को Prosus ने यह बताया;

“इस डील को पूरा करने के लिए कई शर्तों को तय किया गया था, जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा मंजूरी प्राप्त करना भी शामिल था।”

“PayU ने 5 सितंबर 2022 को CCI की मंजूरी हासिल कर ली। लेकिन 30 सितंबर 2022 की लंबी स्टॉप डेट तक भी पहले की कुछ शर्तों को पूरा नहीं किया गया था और इसलिए यह डील अपनी शर्तों के अनुसार खुद-ब-खुद समाप्त हो गई, लेकिन अब उस प्रस्तावित डील को लागू नहीं किया जाएगा।”

जानकारों के अनुसार, अगर ये डील हो जाती तो Prosus के पेमेंट और फिनटेक बिजनेस PayU, कुल भुगतान वॉल्यूम (TPV) के मामले में विश्व का टॉप ऑनलाइन पेमेंट प्रोवाइडर बन सकता था।

See Also

वैसे एक साल के बाद इस सौदे के रद्द होने के बाद BillDesk के लिए जहां अपने निवेशकों आदि चीजों को लेकर चुनौती बढ़ेगी, वहीं भारतीय पेमेंट सेगमेंट में PayU के विकास की रफ्तार को भी ख़ासा झटका लगेगा।

अनुमानों के मुताबिक, ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर क्षेत्र में BillDesk की हिस्सेदारी 25% से 30% तक है, जिसके बाद Razorpay 15% से 20% तक की हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है और PayU लगभग 10% से 15% की हिस्सेदारी के साथ तीसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी है।

BillDesk का दबदबा सरकार, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा क्षेत्रों में माना जाता रहा है, और PayU इंटरनेट कंपनियों के बीच लोकप्रिय है।

इतना ही नहीं बल्कि 2018 में वॉलमार्ट (Walmart) में किए गए ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट (Flipkart) के अधिग्रहण के बाद, भारतीय इंटरनेट सेवा क्षेत्र में यह दूसरी सबसे बड़ी सफल डील होती।

खुद Naspers की वैश्विक निवेश शाखा Prosus के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण होता। एक दावे के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी Naspers ने अपनी सहायक कंपनी Prosus के जरिए 2005 से अब तक भारतीय तकनीकी स्टार्टअप्स में लगभग $6 बिलियन का निवेश किया है।

Exit mobile version