Startup Funding – Harvesting Farmer Network (HFN): भारत के लिहाज से एग्रीटेक जगत हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है। और अच्छी बात ये है कि बीते कुछ सालों में इस क्षेत्र से जुड़े कई स्टार्टअप्स तेजी से उभरते नजर आए हैं।
इसी क्रम में चंडीगढ़ आधारित एग्रीटेक स्टार्टअप Harvesting Farmer Network (HFN) ने अपने पहले संस्थागत निवेश के रूप में Social Capital से $4 मिलियन (लगभग ₹31 करोड़) का निवेश हासिल किया है।
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कंपनी के अनुसार, प्राप्त की गई इस राशि का इस्तेमाल देश भर में 12 करोड़ से अधिक छोटे किसानों तक पहुंचने और ग्रामीण भारत में नए बाजारों की संभावनाओं का पता लगाने की दिशा में किया जाएगा।
जाहिर तौर पर कंपनी इस निवेश को हासिल करने के बाद अब आगामी 12 महीनों में पूरे भारत में HFN का तेजी से विस्तार करने की योजना बना रही है।
Harvesting Farmer Network (HFN) की शुरुआत माइक्रोसॉफ्ट के पूर्व कार्यकारी अधिकारी, रुचित गर्ग (Ruchit Garg) ने की। यह स्टार्टअप असल में किसानों और खरीदारों के बीच की प्रक्रिया को आसान बनाने का काम करती है।
असल में अमेरिका से वापस भारत आने पर उन्हें देश के कृषि जगत में कुछ गंभीर समस्याएं नजर आईं, जैसे बाजार तक पहुंच की कमी, गुणवत्ता और किफायती इनपुट की अनुपलब्धता और किसानों के लिए व्यक्तिगत वित्तीय उत्पादों की कमी आदि।
अपनी स्थापना के बाद से अब तक देश भर के लगभग हर राज्य से HFN के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर $500 मिलियन से अधिक मूल्य की 360 से अधिक फसल किस्मों को इन-लिस्ट किया जा चुका है। इन फसलों को घरेलू ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बेचा गया है।
फिलहाल अब तक HFN के डिजिटल प्लेटफॉर्म से 35 लाख से अधिक किसान जुड़ चुके हैं। कंपनी का दावा है कि HFN से साझेदारी के बाद किसानों ने अपनी फसल आय में 2.5 गुना तक की वृद्धि दर्ज की है।
यह स्टार्टअप ने अपने साथी स्थानीय किसानों को फसल बेचने और सस्ती कीमतों पर बीज और उर्वरक जैसे प्रमुख्य इनपुट खरीदने में मदद करने के लिए HFN Kisan Centres या Seva Kendras भी स्थापित किए हैं।
इस निवेश को लेकर HFN के संस्थापक और सीईओ रुचित गर्ग ने कहा;
“HFN में, हमारा लक्ष्य कृषि सप्लाई चेन में व्याप्त अक्षमताओं को अधिक से अधिक कम करते हुए किसानों को उनकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सकने में मदद प्रदान करने का है।”
“इसके लिए हम WhatsApp और Twitter जैसी सरल और व्यापक रूप से उपलब्ध तकनीकों की मदद से बड़े पैमाने पर डेटा-संचालित किसान सहकारी समितियों को बना पाते हैं, जो किसानों को बेहतर दरों पर कृषि इनपुट और आउटपुट के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों को हासिल करने में मदद करती हैं।”