Fintech Startup Funding – Hubble: यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि मौजूदा दौर भारत में स्टार्टअप्स का है और इनमें भी फ़िनटेक एक अग्रणी भूमिका निभाता नज़र आने लगा है। इसी कड़ी में अब फिनटेक प्लेटफ़ॉर्म Hubble ने अपने सीड फ़ंडिंग राउंड के तहत $3.4 मिलियन (लगभग ₹25 करोड़) का निवेश हासिल किया है।
कंपनी के लिए इस निवेश दौर का नेतृत्व Sequoia Capital India ने किया। इसके साथ ही इस दौर में कुछ प्रमुख एंजेल निवेशकों जैसे – कुणाल बहल (सह-संस्थापक व सीईओ, Snapdeal) और सतीश आंद्रा (Endiya Partners) आदि ने भी अपनी भागीदारी दर्ज करवाई।
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कंपनी की मानें तो वह प्राप्त की गई इस पूँजी का इस्तेमाल अपने उपभोक्ता प्लेटफ़ॉर्म को और बेहतर व सशक्त बनाने, अग्रणी भारतीय और वैश्विक ब्रांडों को ख़ुद से साथ जोड़ने तथा नई प्रतिभाओं को कंपनी में शामिल करने को लेकर करेगी।
कंपनी की शुरुआत साल 2021 में ही नीरज तुलस्यान (Neeraj Tulsyan) और मयंक बिश्नोई (Mayank Bishnoi) ने मिलकर की थी।
Hubble मुख्यतः ब्रांड्स आदि को ग्राहकों से एडवांस पेमेंट लेते हुए, नए ग्राहकों को आकर्षित करने, उनको ग्राहकों से बार बार ऑर्डर दिला सकने वर्किंग कैपिटल की ज़रूरत को कम करने आदि में मदद करती है।
कंपनी के मुताबिक़ Hubble के ज़रिए ग्राहक केवल ₹500 के मासिक भुगतान के साथ बचत प्लान्स को सब्स्क्राइब करके अपनी रिवॉर्ड आधारित बचत यात्रा शुरू कर सकते हैं।
इसके बदले में ब्रांड्स बैंकों और म्यूचुअल फंड की तुलना में सब्स्क्राइबर्स को उनके पैसे पर 5 गुना अधिक रिटर्न प्रदान करते हैं।
आप सोच रहें होंगे कि ब्रांड भला ऐसा कैसे कर पाते है? असल में ये ब्रांड्स इसलिए ऐसा कर पाते हैं क्योंकि उन्हें प्लानिंग के चरण में ही ग्राहक मिल रहे हैं और साथ ही उन ग्राहकों के द्वारा एडवांस में किए गए पेमेंट के चलते उनकी वर्किंग कैपिटल की ज़रूरतों में भी कमी आती है।
लॉन्च के कुछ हफ्तों के भीतर इस स्टार्टअप ने दो लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं की वेटिंग लिस्ट बना ली है और इसने फ़िलहाल 25 से अधिक ब्रांडों के साथ भागीदारी कर रखी है।
अभी कंपनी ने Android और iOS में अपने मोबाइल एप्लिकेशन का बीटा वर्जन लॉन्च किया है। ज़ाहिर है आप इस Beta Version ऐप को प्ले स्टोर और ऐप स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।
इस बीच नए निवेश को लेकर कंपनी के सह-संस्थापक, नीरजने कहा,
“यह पहल ना केवल ग्राहकों के लिए बल्कि लाइफ़-स्टाइल ब्रांडों के लिए भी एक गेम-चेंजर साबित हो रही है, क्योंकि अब वे शुरुआती चरण में ही अपने ग्राहकों से जुड़ कर और उनसे पूँजी प्राप्त कर अपनी वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता को कम कर पा रहे है।”
“और इसका एक और फ़ायदा है कि वर्किंग कैपिटल में कमी आने से वो ब्रांड अपने उत्पादों को ग्राहकों के लिए दाम के लिहाज़ से भी अधिक सुलभ बना सकते हैं।”