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भारत में Google एक बार फिर संकट में, CCI ने कंपनी के खिलाफ दिया जांच का आदेश

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CCI probe against Google India: दुनिया की सबसे लोकप्रिय कंपनियों में से एक गूगल (Google) की भारत में मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नज़र आ रही हैं। असल में देश की एंटी-ट्रस्ट एजेंसी, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने शुक्रवार को गूगल (Google) के खिलाफ एक गंभीर मामले को लेकर की गई शिकायत के चलते जाँच का आदेश जारी किया है।

असल में भारत में डिजिटल समाचार प्रकाशकों को बढ़ावा देने और उनके हितों की रक्षा करने वाली ‘डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन’ द्वारा एक शिकायत दायर की गई थी, जिसके बाद अब CCI ने कंपनी पर अपनी मजबूत स्थिति का कथित दुरुपयोग करने को लेकर जांच का आदेश दिया है।

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CCI orders probe against Google: क्या है पूरा मामला?

मामला Google News Aggregation से जुड़ा हुआ है। ये क्या होता है? आइए समझते हैं!

डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन की मानें तो ‘समाचार वेबसाइटों पर अधिकांश ट्रैफ़िक (वेबसाइट पर आने वाले यूज़र्स) ऑनलाइन सर्च इंजन से मिलता है और ज़ाहिर है Google इस मामले में सबसे व्यापाक और लोकप्रिय सर्च इंजन है।

एसोसिएशन के अनुसार समाचार वेबसाइटों पर कुल ट्रैफ़िक का 50% से भी अधिक हिस्सा Google के ज़रिए ही आता है और ऐसे में इस क्षेत्र में अपनी मज़बूत स्थिति का एहसास करते हुए, Google अपने एल्गोरिदम के माध्यम से यह निर्धारित करता है कि कौन सी समाचार वेबसाइट सर्च पेज पर कहाँ और कैसे दिखाई देगी। और आरोप यही है कि Google कथित रूप से सारा खेल इसी एल्गोरिदम में करता है।

एसोसिएशन के मुताबिक़ इसके कई सदस्य समाचार वेबपोर्टल का संचालन कर रहें हैं, और हमेशा विश्वसनीय और तथ्य-जांच वाली रिपोर्ट या समाचार प्रदान करने का प्रयास करते हैं, जो कि किसी भी लोकतंत्र का आधार माना जाता है।

आरोप ये हैं कि तमाम समाचार पोर्टल्स पर विज्ञापनों को चलाने के लिए Google जैसी कंपनियाँ प्रमुख हैं और ये ऑनलाइन सर्च इंजन विज्ञापनों से मिलने वाले राजस्व का एक बड़ा हिस्सा अपने पास रखते हैं और प्रकाशकों को इससे बहुत कम फ़ायदा होता है।

Google ये तय करता है कि किसी कंटेंट क्रीएटर को उसके द्वारा बनाए गए कंटेंट पर विज्ञापन के ज़रिए कमाए गए राजस्व से कितना हिस्सा मिलेगा।

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सर्च इंजन के मामले में भारत में Google का एकाधिकार कहा जा सकता है और साथ ही बल्कि विज्ञापन के बाज़ार में भी ये सबसे बड़ा हिस्सेदार है। और इसलिए कंपनी पर आरोप है कि ये अपने एकाधिकार का गलत ढंग से इस्तेमाल करते हुए इस बाज़ार को नियंत्रित करती है।

क्या है CCI का रूख?

मामले की देखते हुए CCI ने महानिदेशक (DG) को अधिनियम की धारा 26(1) के प्रावधानों के तहत इन आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया गया है। CCI ने डीजी को आदेश प्राप्त होने की तारीख से 60 दिनों में जांच पूरी करने और रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया है।

CCI ने अपने बयान में कहा;

“सुचारू रूप से काम कर रहे लोकतंत्र में समाचार/मीडिया की एक अहम भूमिका को कभी भी कम करके नहीं आंका जा सकता। इसलिए यह सुनिश्चित करना अहम हो जाता है कि डिजिटल जगत में सभी शेयरहोल्डर्स के बीच आय का उचित वितरण हो और कोई भी अपने एकाधिकार या मज़बूत स्थिति का दुरुपयोग करते हुए  प्रतिस्पर्धी प्रक्रियाओं व मूल्यों को नुकसान ना पहुँचा सकें।”

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